Biosphere Reserves in India: इतिहास, वर्ष-वार सूची और UNESCO साइटें

Biosphere Reserves in india

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बायोस्फीयर रिज़र्व (जेव मंडल आरक्षित क्षेत्र) ऐसे विशेष संरक्षित क्षेत्र होते हैं जहाँ प्रकृति और इंसान को संतुलन के साथ साथ-साथ रहने का मौका दिया जाता है। एक ही बड़े क्षेत्र में जंगल, नदियाँ, जानवर, पेड़-पौधे और वहाँ रहने वाले लोग – सबको साथ लेकर योजना बनाई जाती है। हाल के सालों में Biosphere Reserves in india शब्द स्कूल की किताबों, प्रतियोगी परीक्षाओं और करंट अफेयर्स में बहुत दिखने लगा है, इसलिए छात्रों और एग्ज़ाम देने वालों के लिए यह विषय ज़रूरी हो गया है।

यह ब्लॉग बताएगा कि भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व कब शुरू हुए, किसने शुरुआत की, इनकी ज़रूरत क्यों पड़ी, पूरी वर्ष-वार सूची क्या है और कितने भारतीय रिज़र्व UNESCO से मान्यता प्राप्त हैं।

बायोस्फीयर रिज़र्व क्या होता है?

बायोस्फीयर रिज़र्व एक बड़ा भू-भाग या समुद्री क्षेत्र होता है, जिसे मुख्य रूप से तीन भागों में बाँटा जाता है –

  1. कोर ज़ोन (Core Zone)

    • सबसे अंदर का हिस्सा

    • यहाँ प्रकृति को लगभग बिना छेड़छाड़ के रहने दिया जाता है

    • रिसर्च के अलावा मानव गतिविधि बहुत कम या नहीं के बराबर

  2. बफर ज़ोन (Buffer Zone)

    • कोर के चारों ओर का क्षेत्र

    • यहाँ सीमित गतिविधियाँ जैसे रिसर्च, इको-टूरिज्म, शिक्षा आदि अनुमति के साथ चलती हैं

  3. ट्रांज़िशन ज़ोन (Transition Zone)

    • सबसे बाहरी हिस्सा

    • यहाँ गाँव, खेती, चराई, वानिकी और बाकी मानवीय गतिविधियाँ होती हैं, लेकिन “सस्टेनेबल” तरीके से

इसी कारण Biosphere Reserves in india सामान्य नेशनल पार्क या वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी से अलग होते हैं। ये ज्यादा बड़े क्षेत्र को कवर करते हैं और उनका उद्देश्य है कि संरक्षण, रिसर्च और लोगों की आजीविका – तीनों साथ-साथ चलें।

बायोस्फीयर रिज़र्व किसने शुरू किए और भारत कब जुड़ा?

दुनिया-भर में बायोस्फीयर रिज़र्व की अवधारणा UNESCO ने 1971 में शुरू किए गए कार्यक्रम “Man and the Biosphere (MAB) Programme” से दी। इसका उद्देश्य था कि दुनिया के अलग-अलग देशों में ऐसे क्षेत्र बनाए जाएँ जहाँ जैव-विविधता की रक्षा के साथ-साथ वैज्ञानिक शोध और सतत विकास (sustainable development) को बढ़ावा दिया जा सके।

भारत ने 1980 के दशक में इस वैश्विक प्रयास से जुड़कर अपना राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू किया। भारत में इस काम की ज़िम्मेदारी पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने संभाली।

राष्ट्रीय स्तर पर Biosphere Reserves in india की शुरुआत 1986 में हुई, जब तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल की सीमाओं पर फैला नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व देश का पहला आधिकारिक बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किया गया। यहीं से भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व का इतिहास शुरू होता है और बाद के वर्षों में अलग-अलग इलाकों में कई नए रिज़र्व जोड़े गए।

भारत में बायोस्फीयर रिज़र्व की ज़रूरत क्यों पड़ी?

भारत दुनिया के 17 “मेगा-डायवर्स” देशों में से एक है। यहाँ हिमालय, रेगिस्तान, तट, घास के मैदान, ट्रॉपिकल जंगल, द्वीप, नदियाँ – सबकुछ है। साथ-साथ जनसंख्या बहुत अधिक है, शहरीकरण तेज़ी से बढ़ रहा है और भूमि-जल-वन पर भारी दबाव है।

सिर्फ नेशनल पार्क और सैंक्चुरी से काम नहीं चल रहा था। सरकार और वैज्ञानिकों को लगा कि बड़े लैंडस्केप स्तर पर काम करने की ज़रूरत है – यही काम Biosphere Reserves in india करते हैं।

मुख्य कारण:

  • केवल किसी एक प्रजाति या छोटे जंगल की जगह पूरे इकोसिस्टम की रक्षा करना

  • दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियों जैसे स्नो लेपर्ड, लायन-टेल्ड मकाक, रेड पांडा, डुगोंग आदि की सुरक्षा

  • स्थानीय समुदायों को केंद्र में रखकर इको-डेवलपमेंट, ऑर्गेनिक खेती, इको-टूरिज्म जैसे मॉडल बनाना

  • जीवित प्रयोगशाला (living laboratory)” बनाना, जहाँ लम्बे समय तक पर्यावरण और जलवायु पर रिसर्च हो सके

  • ऐसा विकास मॉडल बनाना जो पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना लोगों की ज़रूरतें पूरी करे

इस दृष्टि से आज की आधिकारिक Biosphere Reserves Division List ठंडे रेगिस्तान, मैंग्रोव डेल्टा, कोरल रीफ़, द्वीप, नदियों के द्वीप, ट्रॉपिकल जंगल और हिमालयी घास के मैदान – लगभग हर तरह के इकोसिस्टम को कवर करती है।

Biosphere Reserves in india का विकास

नीलगिरि के बाद 1988 में नंदा देवी और नोकरेक बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किए गए। 1989 में गल्फ ऑफ़ मन्नार, सुंदरबन, मानस और ग्रेट निकोबार जोड़े गए। इसके बाद धीरे-धीरे मध्य भारत, पूर्वोत्तर, द्वीप समूह और पश्चिमी रेगिस्तानी क्षेत्रों तक नेटवर्क फैलता गया।

आज भारत में कुल 18 बायोस्फीयर रिज़र्व आधिकारिक रूप से अधिसूचित हैं। ये मिलकर लगभग एक लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करते हैं और देश के लगभग सभी प्रमुख बायोजियोग्राफिक जोन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Biosphere Reserves Division की भूमिका

MoEFCC के अंदर एक विशेष इकाई काम करती है जिसे आम तौर पर Biosphere Reserves Division कहा जाता है।

इसकी मुख्य ज़िम्मेदारियाँ:

  • राष्ट्रीय Biosphere Reserves Division List तैयार करना और अपडेट रखना

  • राज्यों के वन विभागों को तकनीकी और वित्तीय सहायता देना

  • UNESCO-MAB के लिए भारतीय बायोस्फीयर रिज़र्व के नाम भेजना

  • रिसर्च, मॉनिटरिंग, इको-डेवलपमेंट और समय-समय पर समीक्षा करवाना

एग्ज़ाम के लिए यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि Biosphere Reserves in india की आधिकारिक सूची और नीति-निर्माण का काम यहीं से होता है।

UNESCO मान्यता: कितने भारतीय बायोस्फीयर रिज़र्व World Network में हैं?

राष्ट्रीय नेटवर्क के कुछ चुनिंदा रिज़र्व को भारत UNESCO के World Network of Biosphere Reserves (WNBR) में नामित करता है। UNESCO से मान्यता मिलने पर उस साइट को अंतरराष्ट्रीय पहचान, तकनीकी मार्गदर्शन और अन्य देशों के साथ सहयोग का मौका मिलता है।

2025 तक भारत में कुल 18 Biosphere Reserves in india हैं, जिनमें से 13 को UNESCO द्वारा मान्यता मिली है और वे World Network का हिस्सा हैं। नीलगिरि 2000 में WNBR में शामिल होने वाला भारत का पहला रिज़र्व बना। हाल के वर्षों में Cold Desert Biosphere Reserve (हिमाचल प्रदेश) जैसी नई साइटें भी इस नेटवर्क में जोड़ी गई हैं।

Biosphere Reserves in india: वर्ष-वार सूची (Biosphere Reserves Division List)

नीचे दी गई तालिका में सभी 18 Biosphere Reserves in india का वर्ष-वार सारांश दिया गया है –

वर्षबायोस्फीयर रिज़र्व का नामराज्य / केंद्रशासित प्रदेश (मुख्य क्षेत्र)
1986नीलगिरि (Nilgiri)तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक
1988नंदा देवी (Nanda Devi)उत्तराखंड
1988नोकरेक (Nokrek)मेघालय
1989गल्फ ऑफ़ मन्नार (Gulf of Mannar)तमिलनाडु
1989सुंदरबन (Sundarbans)पश्चिम बंगाल
1989मानस (Manas)असम
1989ग्रेट निकोबार (Great Nicobar)अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
1994सिमलीपाल (Simlipal)ओडिशा
1997दिब्रु-साइकुवा (Dibru-Saikhowa)असम
1998दिहांग-दिबांग (Dihang-Dibang)अरुणाचल प्रदेश
1999पचमढ़ी (Pachmarhi)मध्य प्रदेश
2000खंगचेंदजोंगा (Khangchendzonga)सिक्किम
2001अगस्त्यमलय (Agasthyamalai)केरल, तमिलनाडु
2005अचनकमार-अमरकंटक (Achanakmar-Amarkantak)मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
2008ग्रेट रन ऑफ़ कच्छ (Great Rann of Kutch / Kachchh)गुजरात
2009कोल्ड डेजर्ट (Cold Desert)हिमाचल प्रदेश
2010शेषाचलम हिल्स (Seshachalam Hills)आंध्र प्रदेश
2011पन्ना (Panna)मध्य प्रदेश

अगर आप एग्ज़ाम की तैयारी कर रहे हैं तो इस तालिका को अपनी कॉपी में लिखकर एक अतिरिक्त कॉलम में “मुख्य प्रजाति / विशेषता” ज़रूर जोड़ें। इससे आपकी खुद की Biosphere Reserves Division List रिविज़न के समय बहुत मदद करेगी।

प्रमुख बायोस्फीयर रिज़र्व की विशेषताएँ

1. नीलगिरि बायोस्फीयर रिज़र्व

यह भारत की राष्ट्रीय Biosphere Reserves Division List में सबसे पहला नाम है। नीलगिरि में बांदीपुर, मुदुमलाई, वायनाड और साइलेंट वैली जैसे कई नेशनल पार्क और सैंक्चुरी शामिल हैं। यह वेस्टर्न घाट की शोला–ग्रासलैंड संरचना की रक्षा करता है। यहाँ एशियाई हाथी, बाघ, लायन-टेल्ड मकाक, नीलगिरि तहर जैसी महत्वपूर्ण प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

2. नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व

उत्तराखंड स्थित यह रिज़र्व नंदा देवी नेशनल पार्क और वैली ऑफ़ फ्लावर्स को शामिल करता है। ऊँचे हिमालयी शिखर, अल्पाइन घास के मैदान और ग्लेशियर इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं। यहाँ स्नो लेपर्ड, हिमालयन मस्क डीयर और कई ऊँचाई पर मिलने वाले पौधे पाए जाते हैं।

3. सुंदरबन बायोस्फीयर रिज़र्व

पश्चिम बंगाल में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा पर फैला यह मैंग्रोव जंगल विश्वप्रसिद्ध है। घने मैंग्रोव और जाल-जैसा ज्वारीय नहर नेटवर्क इसे खास बनाते हैं। यह रॉयल बंगाल टाइगर, खारे पानी के मगरमच्छ, फिशिंग कैट और अनगिनत पक्षी प्रजातियों का घर है। साथ ही यह चक्रवातों और तूफानी लहरों से तटीय क्षेत्रों की रक्षा भी करता है।

4. गल्फ ऑफ़ मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व

यह समुद्री-तटीय बायोस्फीयर रिज़र्व भारत और श्रीलंका के बीच के समुद्री क्षेत्र में फैलता है। यहाँ कोरल रीफ़, सीग्रास बेड और छोटे-छोटे द्वीप हैं। डुगोंग (sea cow), सी-कुकंबर, पर्ल ऑयस्टर और अनेक समुद्री जीव-जंतुओं के कारण यह बहुत महत्वपूर्ण है।

5. ग्रेट निकोबार बायोस्फीयर रिज़र्व

अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के दक्षिणी छोर पर स्थित यह रिज़र्व ट्रॉपिकल एवरग्रीन जंगल, तटीय क्षेत्र और कई स्थानिक (endemic) प्रजातियों की रक्षा करता है। निकोबार मेगापोड, खारे पानी के मगरमच्छ और अनेक दुर्लभ पक्षी-पौधे यहाँ पाए जाते हैं।

6. कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिज़र्व

Cold Desert बायोस्फीयर रिज़र्व हिमाचल प्रदेश के ऊँचे ट्रांस-हिमालयी क्षेत्र को कवर करता है। यहाँ बर्फ़ से ढके पर्वत, ग्लेशियर, पत्थरिली घाटियाँ और विरल घास के मैदान हैं। यह स्नो लेपर्ड, हिमालयन आइबेक्स, ब्लू शीप और अत्यधिक ठंड व कम ऑक्सीजन में जीवित रहने वाले पौधों के लिए जाना जाता है।

7. ग्रेट रन ऑफ़ कच्छ बायोस्फीयर रिज़र्व

गुजरात में स्थित यह भारत का सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिज़र्व है। इसमें खारे रेगिस्तान, मौसमी वेटलैंड, घास के मैदान और तटीय क्षेत्र शामिल हैं। यहाँ भारतीय जंगली गधा (Indian Wild Ass), फ्लेमिंगो, पेलिकन, क्रेन और अनेक प्रवासी पक्षियाँ बड़ी संख्या में देखी जाती हैं।

Biosphere Reserves in india लोगों की कैसे मदद करते हैं?

बायोस्फीयर रिज़र्व सिर्फ वन्यजीवों के लिए नहीं हैं, वे स्थानीय लोगों को भी कई तरह से लाभ देते हैं:

  • ट्रांज़िशन ज़ोन में सस्टेनेबल और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना

  • इको-टूरिज्म, होम-स्टे और स्थानीय हस्तशिल्प के ज़रिए अतिरिक्त आय के अवसर बनाना

  • जंगल, जलस्रोत और मिट्टी की रक्षा करके गाँवों की बुनियादी ज़रूरतों को सुरक्षित करना

  • फॉरेस्ट प्रोटेक्शन, गाइड, रिसर्च प्रोजेक्ट और इको-डेवलपमेंट में रोजगार के अवसर देना

  • औषधीय पौधों, पारंपरिक चराई व्यवस्था और लोक-ज्ञान को बचाए रखना

इसीलिए राष्ट्रीय Biosphere Reserves Division List सिर्फ संरक्षण की सूची नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास और आजीविका सुरक्षा की भी योजना है।

Biosphere Reserves in india को मैनेज करने में चुनौतियाँ

मजबूत कानून और योजनाएँ होने के बावजूद कई समस्याएँ सामने आती हैं:

  • ट्रांज़िशन ज़ोन में बढ़ती आबादी और भूमि की माँग

  • हाथी, बाघ या अन्य वन्यजीवों के कारण मानव–वन्यजीव द्वंद (Human–Wildlife Conflict)

  • अवैध शिकार, रेत खनन, लकड़ी की चोरी और प्रदूषण जैसी गतिविधियाँ

  • जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर पिघलना, समुद्र-स्तर बढ़ना और चरम मौसम घटनाएँ

  • रिसर्च, मॉनिटरिंग और समुदाय-आधारित प्रोजेक्ट के लिए सीमित फंड और स्टाफ

इन समस्याओं से निपटने के लिए सैटेलाइट इमेज, GIS मैपिंग, कैमरा ट्रैप, गाँव स्तर की माइक्रो-प्लानिंग और पार्टिसिपेटरी मैनेजमेंट कमेटी जैसी आधुनिक तकनीक और सामुदायिक तरीके अपनाए जा रहे हैं। हर नई समीक्षा में Biosphere Reserves Division List को बेहतर बनाया जाता है ताकि कोर ज़ोन पर दबाव कम हो और स्थानीय लोगों को ज़्यादा लाभ मिल सके।

एग्ज़ाम के लिए झट-पट तथ्य

तेज़ रिविज़न के लिए Biosphere Reserves in india के कुछ महत्वपूर्ण एक लाइनर याद रखें:

  • भारत में कुल 18 बायोस्फीयर रिज़र्व हैं।

  • इनमें से 13 बायोस्फीयर रिज़र्व UNESCO-MAB के World Network में शामिल हैं।

  • भारत का पहला बायोस्फीयर रिज़र्व: नीलगिरि (1986)

  • सबसे नया अधिसूचित बायोस्फीयर रिज़र्व: पन्ना (2011)

  • क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे बड़ा: ग्रेट रन ऑफ़ कच्छ (गुजरात)

  • सबसे छोटा: दिब्रु-साइकुवा (असम)

छात्रों और एग्ज़ाम के लिए Biosphere Reserves in india क्यों ज़रूरी हैं?

स्कूल बोर्ड, SSC, UPSC और राज्य सेवाओं की परीक्षाओं में अब पर्यावरण, भूगोल और सामान्य ज्ञान वाले सेक्शन में Biosphere Reserves in india से प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। यह टॉपिक मैप-बेस्ड सवाल, करंट अफेयर्स और बेसिक कंसेप्ट – तीनों को जोड़ता है, इसलिए पेपर सेट करने वालों की पसंदीदा सूची में रहता है।

आप अपनी कॉपी में एक साफ-सुथरा पेज बनाकर पूरी Biosphere Reserves Division List लिखें। साथ में भारत का आउटलाइन मैप बनाकर सभी Biosphere Reserves in india को मार्क करें और हर साइट के पास उसकी मुख्य विशेषता (जैसे कोरल रीफ़, मैंग्रोव, कोल्ड डेजर्ट, अल्पाइन मेडोज़ आदि) लिखें। इससे दो-तीन रिविज़न में पूरा टॉपिक याद हो जाएगा।

Biosphere Reserves in india को जल्दी कैसे दोहराएँ?

  • केवल नाम पढ़ने की बजाय मैप और प्रजातियों से जोड़कर पढ़ें।

  • पूरी Biosphere Reserves Division List को कम-से-कम दो बार अपने हाथ से लिखें और जोर से बोलकर पढ़ें।

  • छोटे-छोटे फ्लैशकार्ड बनाएं – एक साइड पर वर्ष, दूसरी साइड पर बायोस्फीयर रिज़र्व का नाम।

  • बार-बार रिविज़न से सारे Biosphere Reserves in india आपके दिमाग में पक्के बैठ जाएंगे, साथ ही यह भी याद रहेगा कि कौन-सा रिज़र्व UNESCO नेटवर्क में है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, Biosphere Reserves in india भारत की प्राकृतिक संपदा की रक्षा करने के साथ-साथ लोगों की ज़िंदगी सुधारने का एक मज़बूत माध्यम हैं। आप वर्णनात्मक उत्तर में लिख सकते हैं कि Biosphere Reserves in india ऐसे पुल की तरह काम करते हैं जो एक तरफ सख्त संरक्षित क्षेत्र (नेशनल पार्क, सैंक्चुरी) और दूसरी तरफ सामान्य मानव-उपयोग वाले लैंडस्केप को जोड़ते हैं, जहाँ संरक्षण और आजीविका का संतुलन बनाकर रखा जाता है।

राष्ट्रीय Biosphere Reserves Division List में आज 18 Biosphere Reserves in india शामिल हैं, जो पहाड़, जंगल, द्वीप, तट, रेगिस्तान और नदी तंत्र – लगभग हर प्रमुख इकोसिस्टम को कवर करते हैं। 1986 में नीलगिरि से शुरू हुआ यह सफ़र अब 18 विविध क्षेत्रों तक पहुँच चुका है, जिनमें से 13 को UNESCO-MAB World Network की अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिल चुकी है।

छात्रों, परीक्षार्थियों और आम नागरिकों के लिए यह समझना ज़रूरी है कि Biosphere Reserves in india सिर्फ किताबों का टॉपिक नहीं, बल्कि वास्तविक जीवन में ऐसा मॉडल हैं जहाँ प्रकृति की सुरक्षा और लोगों का विकास एक साथ संभव है। यही सोच आने वाले समय के लिए भारत को पर्यावरण-अनुकूल और टिकाऊ विकास की दिशा में आगे बढ़ाती है।

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