हर साल 1 January को भारत में DRDO Foundation Day मनाया जाता है, ताकि Defence Research and Development Organisation (DRDO) के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, टेक्नीशियन और सपोर्ट स्टाफ को सम्मान दिया जा सके। यही वह संस्था है जो पर्दे के पीछे रहकर मिसाइलें, रडार, टैंक, फाइटर–एयरक्राफ्ट से जुड़ी तकनीक, नौसेना के सिस्टम और हमारी सेनाओं के लिए कई महत्वपूर्ण रक्षा समाधान तैयार करती है।
DRDO Foundation Day 2026 इस संगठन का 68वाँ स्थापना दिवस होगा, क्योंकि DRDO की स्थापना 1 January 1958 को की गई थी।
इस दिन देश केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं मनाता। DRDO Foundation Day हमें यह याद दिलाता है कि भारत ने कैसे विदेशी रक्षा आयात पर भारी निर्भरता से निकलकर, बहुत-सी रणनीतिक प्रणालियाँ अपने ही देश में विकसित की हैं।
DRDO क्या है और इसे क्यों बनाया गया?
Defence Research and Development Organisation (DRDO), भारत सरकार के Ministry of Defence का R&D विंग है। इसका काम ऐसी उन्नत रक्षा तकनीकें विकसित करना है, जिससे भारतीय Army, Navy और Air Force को आधुनिक और भरोसेमंद उपकरण, वह भी Made in India, मिल सकें।
DRDO का गठन 1958 में तीन पुरानी संस्थाओं को मिलाकर किया गया था:
Indian Army की Technical Development Establishment (TDEs)
Indian Ordnance Factories की Directorate of Technical Development & Production (DTDP)
Defence Science Organisation (DSO)
आज DRDO लगभग 50+ प्रयोगशालाओं और प्रतिष्ठानों का बड़ा नेटवर्क है, जो इन क्षेत्रों में काम करता है:
मिसाइलें और रणनीतिक सिस्टम
एरोनॉटिक्स और फाइटर एयरक्राफ्ट टेक्नोलॉजी
बख़्तरबंद वाहन और तोपखाना प्रणाली
इलेक्ट्रॉनिक्स, रडार और कम्युनिकेशन
नौसैनिक सिस्टम और अंडरवॉटर सेंसर
लाइफ साइंसेज़, मटेरियल्स और सैनिकों के लिए सपोर्ट सिस्टम
संगठन का मोटो है “Strength’s Origin is in Science” (संस्कृत: Balasya Mulam Vigyanam)। इसका सीधा अर्थ है कि किसी भी देश की असली ताकत की जड़ें विज्ञान में होती हैं और मज़बूत रक्षा का आधार वैज्ञानिक शोध ही है।
यही भावना हर साल DRDO Foundation Day पर मनाई जाती है — भारतीय विज्ञान की वह शक्ति जो राष्ट्रीय सुरक्षा की सेवा में लगी हुई है।
1 January को ही DRDO Foundation Day क्यों मनाया जाता है?
1 January 1958 वह तारीख है, जब पुरानी संस्थाओं को मिलाकर DRDO को आधिकारिक रूप से अस्तित्व मिला।
तभी से हर साल 1 January को, नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से लेकर देश-भर की सभी प्रयोगशालाओं में, DRDO Foundation Day मनाया जाता है।
DRDO Foundation Day 2026 पर संगठन अपनी 68 वर्ष की सेवा पूरी करेगा। इन दशकों में DRDO ने:
लगभग 10 लैब से बढ़कर 40–50 से अधिक लैब और सेंटर तक विस्तार किया
मिसाइल, एरोनॉटिक्स, नौसैनिक सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक्स, आयुध और लाइफ साइंसेज़ में जटिल टेक्नोलॉजी क्लस्टर खड़े किए
भारत की पहले की विदेशी रक्षा आयात पर अत्यधिक निर्भरता कम की
मिसाइल कार्यक्रमों, फाइटर एयरक्राफ्ट, रडार नेटवर्क और रणनीतिक प्रतिरोध (strategic deterrence) जैसे बड़े राष्ट्रीय मिशनों को मज़बूत आधार दिया
इसलिए जब हम DRDO Foundation Day की बात करते हैं, तो वास्तव में हम आधुनिक भारतीय रक्षा विज्ञान की नींव की बात कर रहे होते हैं।
DRDO की संक्षिप्त समयरेखा: 1958 से 2026 तक
DRDO Foundation Day 2026 को समझने के लिए, इसकी यात्रा को कुछ आसान चरणों में देखना उपयोगी है:
1. गठन का दौर (1958–1970s)
1958 – TDEs, DTDP और DSO को मिलाकर DRDO का गठन किया गया।
फोकस बुनियादी शोध, छोटे उपकरणों और सशस्त्र बलों को क्रमिक सुधार (incremental improvements) देने पर था।
संसाधन सीमित थे, लेकिन दृष्टि साफ थी – स्वदेशी defence R&D base तैयार करना।
2. विस्तार और मिसाइल युग (1980s–1990s)
1980 में DRDO की देखरेख के लिए अलग Department of Defence Research and Development बनाया गया।
प्रख्यात Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP) की शुरुआत डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में हुई, जिससे Prithvi, Agni, Akash, Nag और Trishul जैसी प्रमुख मिसाइल प्रणालियाँ बनीं।
इसी दौर में DRDO ने रडार, electronic warfare (EW) systems और आधुनिक तोपखाने व टैंक तकनीकों के शुरुआती संस्करणों पर भी काम शुरू किया।
3. विविधीकरण और बड़े प्रोजेक्ट (2000s–2010s)
इस चरण में कई बड़े प्रोजेक्ट तेज़ी से आगे बढ़े, जैसे:
रूस के साथ मिलकर बनाया गया BrahMos supersonic cruise missile
Arjun Main Battle Tank
INSAS राइफलें, तोपखाना प्रणालियाँ और Pinaka जैसे रॉकेट लॉन्चर
Light Combat Aircraft (LCA) Tejas के लिए DRDO ने composites, avionics और दूसरी अहम तकनीकों में योगदान दिया
4. आत्मनिर्भर भारत और डीप-टेक युग (2020s onwards)
रक्षा क्षेत्र में Atmanirbhar Bharat का प्रमुख स्तंभ बनकर DRDO की भूमिका और बढ़ गई।
तकनीकी क्लस्टरों को कई डोमेन में पुनर्गठित किया गया – Aeronautics, Missiles & Strategic Systems, Naval Systems, Electronics & Communication, Armaments & Combat Engineering, Soldier Support Systems और Microelectronics/Computational Systems आदि।
हाल के वर्षों में इन क्षेत्रों में अहम प्रगति हुई:
Agni-Prime, QRSAM, Long Range Land Attack Cruise Missile (LR-LACM), Medium Range Anti-Ship Missile (MRAshM)
Hypersonic परियोजनाएँ और अगली पीढ़ी के लड़ाकू विमान (AMCA)
DRDO Foundation Day 2026 तक आते-आते, भारत को दुनिया में एक गंभीर और सक्षम defence technology power के रूप में माना जाने लगा है।
DRDO की बड़ी उपलब्धियाँ, जो Foundation Day को खास बनाती हैं
DRDO Foundation Day 2026 पर लोग उन खास प्रणालियों की चर्चा करेंगे जिन्होंने भारत की रक्षा स्थिति को बदला है। इनमें कुछ प्रमुख योगदान हैं:
1. Missile Systems
DRDO ने अलग-अलग दूरी और भूमिका वाली मिसाइलों का बड़ा परिवार बनाया है:
Strategic Missiles
Agni series – भारत की रणनीतिक प्रतिरोध क्षमता का मूल हिस्सा
Prithvi – प्रारंभिक battlefield missile
Tactical और Air Defence Missiles
Akash – surface-to-air missile, वायु रक्षा के लिए
QRSAM, LR-SAM, MRSAM – आधुनिक air defence systems
Anti-tank Missiles
Nag और इसकी विभिन्न variants
Cruise Missiles
BrahMos – दुनिया की सबसे तेज़ supersonic cruise missiles में से एक
हाल में DRDO ने Pralay quasi-ballistic missile के सफल परीक्षण भी किए (July 2025), जिसने mobile launchers से high-precision strike क्षमता सिद्ध की।
इन सभी उपलब्धियों को हर साल DRDO Foundation Day पर गर्व के साथ याद किया जाता है।
2. Combat Aircraft और Airborne Systems
LCA Tejas में composites, avionics और mission systems के स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान
Airborne radars, AEW&C systems और विभिन्न electronic warfare suites का विकास
Indian Air Force को network-centric warfare, surveillance और communication के लिए मज़बूत समाधान
ये प्रोग्राम दिखाते हैं कि DRDO केवल मिसाइल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरी air power solutions पर काम करता है।
3. Land Systems और Artillery
Arjun Main Battle Tank (MBT) – उन्नत fire control और armour protection वाला स्वदेशी टैंक
Pinaka multi-barrel rocket launcher – long-range artillery support के लिए प्रयोग
उन्नत पुल, माइन, armoured recovery vehicles और combat engineering systems
DRDO Foundation Day 2026 पर ये सिस्टम फिर से भूमि युद्ध (land warfare) में आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में सामने आएँगे।
4. Naval Systems
Humsa, Ushus, Mihir जैसे sonar systems – warships, submarines और helicopters के लिए
Varunastra जैसी underwater weapons और torpedoes
नौसैनिक संचार और electronic warfare systems
ये तकनीकें चुपचाप भारत की लंबी समुद्री सीमा और समुद्री हितों की रक्षा करती हैं।
5. Life Sciences, Soldier Support और नई तकनीकें
सैनिकों के लिए protective clothing, राशन, high-altitude survival kits और psychological support पर शोध
Divya Drishti जैसे AI-based security और surveillance tools – face recognition और gait analysis का उपयोग
लगभग 32,000 फीट की ऊँचाई से indigenous Military Combat Parachute System (MCPS) की सफल टेस्टिंग, जो high-altitude special operations को सक्षम बनाती है
इन सभी पहलुओं से स्पष्ट है कि DRDO Foundation Day केवल औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सैनिकों को सीधे फायदा पहुँचाने वाले innovation का उत्सव है।
DRDO Foundation Day 2026 के आसपास चर्चा में रहने वाली हालिया उपलब्धियाँ
हर साल DRDO Foundation Day के पहले या आसपास नए परीक्षण और उपलब्धियाँ सुर्खियों में रहती हैं। DRDO Foundation Day 2026 तक पहुँचते-पहुंचते कुछ प्रमुख highlights हैं:
Pralay missile के user trials (July 2025) – दो लगातार सफल परीक्षण, high precision और induction readiness दिखाते हुए
Smart Anti-Airfield Weapon (SAAW) – लगभग 100 km दूर से दुश्मन के एयरफ़ील्ड पर वार करने वाला glide bomb, जिससे aircraft hostile airspace से बाहर रहकर हमला कर सकते हैं
2024 में सशस्त्र बलों को सौंपे गए प्रमुख सिस्टम – Air Defence Tactical Control Radar (ADTCR), Long Range Land Attack Cruise Missile, QRSAM, MRAshM, नए maritime aircraft और anti-tank mines
Hypersonic missile और advanced combat aircraft (AMCA) पर तेज़ी से काम, जो air और missile technology की अगली पीढ़ी की दिशा तय कर रहा है
जब लोग DRDO Foundation Day 2026 की बात करेंगे, तो इन हालिया सफलताओं का ज़िक्र ज़रूर होगा, जो दिखाती हैं कि संगठन लगातार आगे बढ़ रहा है।
DRDO Foundation Day कैसे मनाया जाता है?
DRDO की लैबों और मुख्यालय के अंदर DRDO Foundation Day औपचारिक और प्रेरणादायक गतिविधियों का मिश्रण होता है। पिछली celebrations के आधार पर सामान्य रूप से यह कार्यक्रम इस तरह दिखाई देता है:
DRDO Chairman और वरिष्ठ नेतृत्व का संबोधन
पूरे वर्ष की प्रगति की समीक्षा
अगले वर्ष के लक्ष्य तय करना
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जैसे महान वैज्ञानिकों को याद करना, जिन्होंने missile programmes में अहम भूमिका निभाई
पुरस्कार और सम्मान
उत्कृष्ट वैज्ञानिकों, टीमों, युवा शोधकर्ताओं और सपोर्ट स्टाफ को दिए जाने वाले DRDO Awards
innovation, technology transfer और industry collaboration के लिए राष्ट्रीय स्तर के सम्मान
Technical Exhibitions और Presentations
नई मिसाइलों, रडार, सेंसर, AI tools और life sciences projects का प्रदर्शन
अधिकारियों, सैन्य अफसरों और कई बार छात्रों के लिए live demonstrations
Outreach Activities
इंजीनियरिंग छात्रों और young innovators के लिए lectures, seminars और online sessions
Atmanirbhar Bharat और defence में start-ups व private industry की भूमिका पर चर्चा
DRDO Foundation Day 2026 पर भी यही प्रारूप रहने की संभावना है, लेकिन खास फोकस deep-tech, AI, hypersonics और next-generation platforms पर होगा।
Defence में Atmanirbhar Bharat और DRDO
DRDO Foundation Day 2026 के महत्व की सबसे मज़बूत वजहों में से एक है – defence में आत्मनिर्भरता (self-reliance) के साथ DRDO का गहरा रिश्ता।
भारत आज भी कुछ रक्षा उपकरण आयात करता है, लेकिन कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में DRDO की भूमिका ने देश को काफी हद तक स्वतंत्र बनाया है।
इस दिशा में DRDO के मुख्य योगदान:
Strategic और tactical दोनों प्रकार की indigenous missile technology
देश में विकसित रडार, electronic warfare systems और communication networks
स्वदेशी टैंक, artillery और rocket systems
भारतीय उद्योग को तकनीक हस्तांतरण (technology transfer) और Development-cum-Production Partner (DcPP) जैसे कार्यक्रम, जिनसे private companies भी high-end defence manufacturing में शामिल होती हैं
इसीलिए DRDO Foundation Day को Make in India, start-up की भागीदारी और भविष्य के DRDO–industry–academia collaboration पर चर्चा के दिन के रूप में भी देखा जाता है।
Students और Aspirants के लिए DRDO Foundation Day 2026 क्यों खास है?
बहुत-से युवा भारतीयों, खासकर science, engineering और defence aspirants के लिए DRDO Foundation Day 2026 सिर्फ़ औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है।
1. Science और Technology careers के लिए रोल-मॉडल
DRDO दिखाता है कि भारतीय वैज्ञानिक इन क्षेत्रों में world-class काम कर सकते हैं:
मिसाइल और space-related systems
AI और cyber security
high-performance materials और composites
naval और underwater technologies
high-altitude और extreme-environment life sciences
जो छात्र national security में योगदान देना चाहते हैं, लेकिन एक वैज्ञानिक/तकनीकी भूमिका में, वे अक्सर DRDO को अपना dream organisation मानते हैं।
2. सीखने और खोजने का दिन
DRDO Foundation Day पर कई कोचिंग संस्थान, कॉलेज और स्कूल यह गतिविधियाँ कर सकते हैं:
DRDO के history और achievements पर webinars या talks
DRDO projects और Indian defence technology पर quiz competitions
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम और अन्य DRDO pioneers पर documentaries दिखाना
छात्रों को DRDO या defence R&D में जाने के career paths के बारे में मार्गदर्शन देना
NDA, CDS, AFCAT और अन्य defence exams की तैयारी करने वाले aspirants के लिए DRDO के काम को समझना, उस तकनीक के प्रति उनका सम्मान बढ़ा देता है जिसे वे भविष्य में इस्तेमाल कर सकते हैं।
आप DRDO Foundation Day 2026 कैसे मना सकते हैं?
भले ही आप वैज्ञानिक या defence officer न हों, फिर भी आप अपने स्तर पर DRDO Foundation Day 2026 को अर्थपूर्ण बना सकते हैं। कुछ आसान तरीके:
1. DRDO projects के बारे में पढ़ें
कम से कम एक DRDO system — कोई missile, radar या tank — के बारे में विस्तार से पढ़ें और समझें कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे मज़बूत करता है।
2. Awareness posts शेयर करें
सोशल मीडिया पर DRDO Foundation Day से जुड़ी तथ्यात्मक और सम्मानजनक पोस्ट शेयर करें, और बताएं कि यह संस्था defence और self-reliance के लिए क्या कर रही है।
3. छोटे छात्रों को प्रेरित करें
यदि आप teacher, mentor या senior student हैं, तो सरल भाषा में समझाएँ कि DRDO कैसे दिखाता है कि science + engineering = strong nation।
4. इसे अपने goals से जोड़ें
Defence aspirants अपने exam और SSB preparation को DRDO Foundation Day से जोड़ सकते हैं, यह सोचकर कि आगे चलकर उन्हें किस प्रकार की तकनीक के साथ काम करना पड़ सकता है।
Engineering students, defence, cyber security या dual-use technologies से जुड़े project या start-up ideas पर विचार कर सकते हैं।
5. “Invisible warriors” को सलाम
DRDO Foundation Day 2026 पर याद रखें कि देश की रक्षा करने वाले सभी लोग सीमा पर नहीं खड़े होते; कई लोग laboratories, coding rooms, testing ranges और workshops में होते हैं, जो ऐसे systems बना रहे हैं जो देश को सुरक्षित रखते हैं।
DRDO Foundation Day 2026 के बाद DRDO का भविष्य
DRDO Foundation Day 2026 के आगे देखते हुए, संगठन की roadmap कुछ स्पष्ट दिशाओं की ओर इशारा करती है:
Hypersonic weapons और advanced propulsion पर गहन काम
AMCA और unmanned combat aerial vehicles जैसे next-generation fighter programmes
defence applications में और भी मज़बूत AI, cyber security और quantum technologies
private industry और start-ups के साथ गहरी साझेदारी, खासकर ऐसे initiatives के ज़रिए जिनमें कंपनियाँ शुरू से ही co-develop और co-produce कर सकें
यानी DRDO Foundation Day 2026 केवल अतीत को याद करने का दिन नहीं, बल्कि नए ideas, नए projects और अधिक self-reliant defence ecosystem की launchpad भी है।
Doon Defence Dreamers – Best NDA Coaching in Dehradun
यदि DRDO Foundation Day 2026 आपको प्रेरित करता है और आप Indian Armed Forces में शामिल होने का सपना देखते हैं, तो देहरादून स्थित Doon Defence Dreamers आपके मार्गदर्शन के लिए तैयार है। Best NDA Coaching in Dehradun के रूप में पहचाने जाने वाला यह संस्थान मज़बूत concept-based teaching, disciplined routine, SSB-oriented personality development और latest exam pattern पर आधारित regular tests पर ध्यान देता है। dedicated mentors, defence-oriented environment और NDA, CDS, AFCAT तथा अन्य defence entries के result-driven preparation के साथ, यह academy गंभीर aspirants की वर्दी पहनने के सपने को हकीकत में बदलने में मदद करती है।
Frequently Asked Questions (FAQs)
1. What is DRDO Foundation Day?
DRDO Foundation Day हर साल 1 January को मनाया जाता है, ताकि Defence Research and Development Organisation (DRDO) की स्थापना (1958) को याद किया जा सके। इस दिन Army, Navy और Air Force के लिए defence technologies विकसित करने वाले वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और स्टाफ को सम्मान दिया जाता है।
2. Why is DRDO Foundation Day celebrated on 1 January?
इसे 1 January को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि DRDO की औपचारिक स्थापना 1 January 1958 को हुई थी। यही तारीख संगठन का foundation या “जन्मदिन” मानी जाती है, इसलिए पूरे देश की सभी DRDO labs और centres हर साल इसे DRDO Foundation Day के रूप में observe करते हैं।
3. What is the importance of DRDO Foundation Day 2026?
DRDO Foundation Day 2026 संगठन की 68 साल की यात्रा का प्रतीक है, जिसमें उसने स्वदेशी defence technologies विकसित की हैं। यह दिन मिसाइल, रडार, टैंक, naval systems और AI-based tools में भारत की प्रगति को सामने लाता है और defence सेक्टर में Atmanirbhar Bharat को मज़बूत करने में DRDO की प्रमुख भूमिका को रेखांकित करता है।
4. What does DRDO do for India’s defence forces?
DRDO, भारत की सेनाओं के लिए उन्नत systems जैसे missiles, radars, electronic warfare systems, tanks, naval sonars और life-support equipment को design, develop और test करता है। ये technologies Indian Army, Navy और Air Force को दी जाती हैं, जिससे भारत विदेशी defence imports पर निर्भरता कम कर पाता है और national security मज़बूत होती है।
5. How is DRDO Foundation Day celebrated?
DRDO Foundation Day पर senior leadership के addresses, वैज्ञानिकों और टीमों के लिए award ceremonies, technical presentations और exhibitions तथा छात्रों के लिए outreach programmes आयोजित किए जाते हैं। कई labs इस दिन अपने नवीनतम projects प्रदर्शित करती हैं और आने वाले वर्ष के लिए नए लक्ष्यों (goals) को तय करती हैं।
Conclusion
DRDO Foundation Day 2026, जो 1 January को मनाया जाएगा, हमें यह ताक़तवर संदेश देता है कि:
राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में science और technology होते हैं।
भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने देश को रक्षा तकनीक के क्षेत्र में निर्भरता की स्थिति से निकालकर आत्मविश्वास और self-reliance की स्थिति तक पहुँचाया है।
हर missile, radar, tank, sonar या AI system के पीछे DRDO और उसके partner organisations के हज़ारों लोगों की वर्षों की मेहनत छिपी होती है।
DRDO Foundation Day को समझकर और मनाकर हम केवल एक organisation को salute नहीं करते, बल्कि उस innovation की spirit को celebrate करते हैं जो भारत की रक्षा को — चुपचाप, लगातार और साहस के साथ — मज़बूत रखती है।



























