भारत की डिजिटल जनगणना 2025, मंगल मिशन 2 और ग्रीन हाइड्रोजन

Mangal mission 2 census of india

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दुनिया बदल रही है—और ये घटनाएँ इसका भविष्य तय कर रही हैं

कभी तकनीक प्रशासन में क्रांति ला देती है, कभी अंतरिक्ष अनुसंधान नई ऊँचाइयों को छू लेता है, कभी ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक संवाद भविष्य के ईंधन को दिशा देता है।
भारत में होने वाली 2025 की पहली डिजिटल जनगणना, ISRO के Mangal Mission 2 की तैयारियाँ, और International Green Hydrogen Conference 2025—ये तीनों घटनाएँ बताती हैं कि बदलाव हर दिशा से आ रहा है—गवर्नेंस, विज्ञान और ऊर्जा—सबका चेहरा भविष्य की ओर मुड़ चुका है।

पहली डिजिटल जनगणना 2025: भारत की डेटा-क्रांति की शुरुआत

भारत की 2025 की जनगणना सिर्फ एक सर्वे नहीं—यह भारत की पहली 100% डिजिटल जनगणना है।
यह देश के इतिहास में पहली बार होगा कि इतनी विशाल आबादी का डेटा मोबाइल टैबलेट्स, क्लाउड सर्वर्स और AI-आधारित सेंट्रल सिस्टम के जरिए इकट्ठा किया जाएगा।

क्यों महत्वपूर्ण है Digital Census 2025?

क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है—और इतने बड़े देश में जनगणना से तय होता है:

  • किस क्षेत्र में कितने स्कूल बनाए जाएँ

  • कहाँ हॉस्पिटल की जरूरत है

  • कितनी सड़कें, कितनी बिजली, कितना पानी

  • राज्यों का फंड और संसाधनों का वितरण

  • सामाजिक योजनाओं का बजट

पहली बार, ये सारे निर्णय रीयल-टाइम डेटा के आधार पर होंगे।

कैसे होगी यह डिजिटल जनगणना?

सरकारी अधिकारियों को स्मार्ट टैबलेट/हैंडहेल्ड डिवाइसेस मिलेंगे, जिनमें एक विशेष Census App होगा।
इसके माध्यम से:

  • घर–घर जाकर डेटा दर्ज किया जाएगा

  • Aadhar verification जैसी पहचान सुविधाएँ उपलब्ध होंगी

  • तुरंत क्लाउड पर डेटा अपलोड होगा

  • गलतियों को तुरंत सुधारा जा सकेगा

  • डेटा duplication लगभग समाप्त होगा

डेटा सुरक्षा—सबकी नज़र इसी पर

यह जनगणना देश की सबसे बड़ी डिजिटल गतिविधियों में से एक होगी।
इसलिए सरकार ने:

  • end-to-end encryption

  • secure cloud architecture

  • identity masking

  • zero-trust cybersecurity
    जैसे उपायों का इस्तेमाल किया है ताकि नागरिकों की जानकारी सुरक्षित रहे।

भारत के लिए इसका बड़ा महत्व

Digital Census भारत को—

  • smart governance

  • accurate planning

  • targeted welfare schemes

  • transparent budgeting

  • AI-driven policy making

की दिशा में ले जाएगी।

यह जनगणना भारत के प्रशासन को अगली पीढ़ी का रूप दे रही है—तेज, सटीक और डिजिटल

Mangal Mission 2: भारत का अगला लाल ग्रह अभियान—कब होगा लॉन्च?

ISRO का पहला Mars Mission—Mangalyaan (MOM-1)—इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा।
कम बजट में सफल मंगल-कक्षा में पहुँचने वाले देशों में भारत पहला था।

अब दुनिया की नज़र है—Mangal Mission 2 (MOM-2) पर।

हालाँकि ISRO ने अभी इसकी आधिकारिक लॉन्च डेट घोषित नहीं की है, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय और स्पेस विशेषज्ञों के मुताबिक यह मिशन 2030 दशक के शुरुआती वर्षों में संभावित माना जा रहा है।

Mangal Mission 2 में क्या होगा नया?

यह मिशन पहले मिशन की तुलना में कहीं ज़्यादा उन्नत और वैज्ञानिक रूप से समृद्ध होगा।

संभावित प्रमुख विशेषताएँ:

1. High-resolution Surface Mapping

Mars की सतह की 3D mapping, पहाड़ों, घाटियों, बर्फ की परतों और भूगर्भीय पैटर्न को बेहतर समझने के लिए।

2. बेहतर कक्षा, अधिक वैज्ञानिक उपकरण

प्रस्तावित उपकरणों में शामिल हो सकते हैं:

  • Mars plasma analyzer

  • advanced methane detector

  • subsurface radar

  • mineralogical spectrometer

ये मंगल ग्रह पर जल, गैसों और जीवन के संकेतों की खोज को और सटीक बनाएंगे।

3. संभवतः Lander या Orbiter + Small Rover (Hybrid Mission)

विशेषज्ञों का मानना है कि MOM-2 सिर्फ ऑर्बिटर न होकर एक जटिल मिशन हो सकता है जिसमें:

  • एक orbiter

  • एक micro-lander

  • और संभवतः nanosat rovers

शामिल हों।

यह अब तक का भारत का सबसे उन्नत मंगल मिशन होगा।

लॉन्च कब?

मंगल मिशनों के लिए लॉन्च विंडो हर 26 महीने पर खुलती है।
इसलिए संभावित विंडोज़:

  • 2026 (बहुत जल्दबाज़ी – संभव नहीं)

  • 2028

  • 2031 (सबसे संभव)

  • 2033

विशेषज्ञ 2031 को सबसे उपयुक्त मानते हैं क्योंकि:

  • उस समय इसरो के नए रॉकेट (NGLV) की परीक्षण प्रगति बेहतर होगी

  • वैज्ञानिक उपकरणों का डिजाइन पूरा हो जाएगा

  • फंडिंग और payload readiness समय पर होगी

भारत के लिए Mangal Mission 2 का महत्व

यह मिशन भारत को deep space exploration में मजबूत करेगा और:

  • planetary research

  • interplanetary communication

  • radiation shielding

  • autonomous navigation

  • ultra-light spacecraft design

जैसे क्षेत्रों में नई तकनीकें विकसित करेगा।

ISRO के लिए यह अगली “giant leap” होगा।

International Green Hydrogen Conference 2025: हाइड्रोजन भविष्य का ईंधन

2025 का अंतरराष्ट्रीय Green Hydrogen Conference (भारत के नेतृत्व में आयोजित) वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक मानी जा रही है।
ये सम्मेलन दुनिया को फॉसिल फ्यूल से हाइड्रोजन-आधारित ऊर्जा की ओर ले जाने की बड़ी पहल है।

Green Hydrogen क्यों इतना अहम है?

क्योंकि यह:

  • 100% स्वच्छ

  • zero-carbon emission

  • ऊर्जा संग्रह करने योग्य

  • भारी उद्योगों में उपयोगी

  • transportation, steel, fertilizer industries में game-changer

माना जाता है।

2025 सम्मेलन के मुख्य उद्देश्यों

  1. Hydrogen production cost को घटाना

  2. Electrolyzer manufacturing को बढ़ाना

  3. Hydrogen के global standards तय करना

  4. Storage और Transport तकनीक विकसित करना

  5. बड़े देशों के बीच energy-partnership बनाना

इस सम्मेलन में कौन-कौन शामिल होगा?

  • भारत

  • यूरोपियन यूनियन

  • जापान

  • दक्षिण कोरिया

  • ऑस्ट्रेलिया

  • USA

  • मध्य-पूर्व के ऊर्जा उत्पादक देश

कुल मिलाकर 35+ देशों की भागीदारी संभावित है।

भारत की बड़ी भूमिका

भारत का लक्ष्य है:

  • 2030 तक 50 लाख टन Green Hydrogen उत्पादन

  • दुनिया का सबसे बड़ा electrolyzer manufacturing hub बनना

  • सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का उपयोग करके hydrogen उत्पादन करना

भारत के लिए यह सम्मेलन सिर्फ एक वैश्विक कार्यक्रम नहीं—यह Energy Superpower India की दिशा में कदम है।

सम्मेलन में प्रमुख चर्चाएँ

  • हाइड्रोजन से चलने वाले heavy trucks

  • steel plants की decarbonisation

  • अमोनिया (NH3) आधारित ऊर्जा आपूर्ति

  • हाइड्रोजन pipelines

  • international hydrogen trading platform

ये चर्चाएँ दुनिया की ऊर्जा संरचना को पूरी तरह बदल सकती हैं।

निष्कर्ष: तकनीक, विज्ञान और ऊर्जा—तीनों एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं

  • Digital Census 2025 भारत के प्रशासन को आधुनिक और डेटा-केंद्रित बना देगी।

  • Mangal Mission 2 भारत को गहरे अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी देशों की सूची में मजबूत करेगा।

  • Green Hydrogen Conference 2025 ऊर्जा जगत को fossil fuels से स्वच्छ ऊर्जा की ओर मोड़ने में निर्णायक भूमिका निभाएगा।

तीनों घटनाएँ बताती हैं—
दुनिया बदल रही है, और भारत इस बदलाव के केंद्र में है।

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