भारत ने हाल ही में अपनी सबसे उन्नत सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल BrahMos के 800 किलोमीटर रेंज वाले संस्करण का सफल परीक्षण किया है। यह उपलब्धि भारत की रणनीतिक क्षमता में ऐतिहासिक बढ़ोतरी को दर्शाती है। यह मिसाइल अपनी गति, सटीकता और बहु-प्लेटफॉर्म लॉन्च क्षमता के लिए जानी जाती है — और अब इसकी विस्तारित रेंज भारत की रक्षा तैयारियों को और सशक्त करेगी।
ब्रह्मोस का इतिहास और MTCR के बाद रेंज विस्तार
BrahMos मिसाइल भारत-रूस के संयुक्त उपक्रम BrahMos Aerospace द्वारा विकसित की गई है। इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्कवा नदियों के संयोजन से रखा गया है।
प्रारंभिक रूप से इस मिसाइल की रेंज 290 किमी तक सीमित थी क्योंकि भारत उस समय Missile Technology Control Regime (MTCR) का सदस्य नहीं था।
जून 2016 में MTCR में शामिल होने के बाद भारत को लंबी दूरी वाले संस्करण विकसित करने की अनुमति मिली, और तब से 400 किमी, 500 किमी तथा अब 800 किमी रेंज तक की मिसाइलों पर कार्य हुआ है।
मुख्य तकनीकी विशेषताएँ
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| प्रकार | सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल |
| गति (Speed) | लगभग Mach 2.8 – Mach 3 |
| रेंज (Range) | 800 किमी (नवीनतम वेरिएंट) |
| इंजन | उन्नत Ramjet Engine |
| प्रणोदन प्रणाली | Solid + Liquid Fuel |
| सटीकता | Circular Error Probable (CEP) < 1 m |
| प्लेटफॉर्म | भूमि, समुद्र और वायु सभी से लॉन्च योग्य |
| नैविगेशन | INS + GNSS + GPS/GLONASS + जैम-प्रतिरोधी प्रणाली |
नया 800 किमी वेरिएंट विशेष रूप से modified ramjet engine और हल्के वज़न के स्ट्रक्चर पर आधारित है, जिससे इसकी रेंज और गति दोनों में वृद्धि हुई है।
मल्टी-प्लेटफॉर्म क्षमता
BrahMos की सबसे बड़ी ताकत उसकी बहु-प्लेटफॉर्म क्षमता है —
Land-based systems: थलसेना की स्ट्राइक फॉर्मेशनों में तैनात।
Ship-launched versions: नौसेना के फ्रिगेट, डिस्ट्रॉयर और मिसाइल वेसल्स पर।
Air-launched version: Su-30 MKI लड़ाकू विमान से लॉन्च योग्य, जो उच्च ऊँचाई से लक्ष्य पर सटीक वार कर सकता है।
यह मिसाइल 10–15 मीटर ऊँचाई पर भी उड़ान बनाए रख सकती है जिससे इसे रडार पर पकड़ पाना अत्यंत कठिन हो जाता है।
800 किमी वेरिएंट का महत्व — लंबी दूरी की सटीक स्ट्राइक
इस वेरिएंट का परीक्षण हाल ही में किया गया और इसे 2027 तक पूरी तरह से सेवा में लाने की योजना है।
यह नई रेंज भारत को अधिक गहराई तक दुश्मन के क्षेत्रों में सटीक हमले की क्षमता देती है। पहले जहाँ BrahMos केवल 400 किमी तक सीमित थी, वहीं अब यह double strike depth प्रदान करती है।
इससे भारत को सीमित युद्ध (limited war) की स्थितियों में भी निर्णायक बढ़त मिल सकती है।
उन्नत गाइडेंस और जैम-प्रतिरोध
इस मिसाइल में आधुनिक Inertial Navigation System (INS), Satellite Guidance, और Data Link Technology का उपयोग किया गया है जो इसे लक्ष्य तक millimeter-level accuracy प्रदान करता है।
नई तकनीक में jam-resistant GPS और terrain-following capability भी जोड़ी गई है जिससे यह कठिन भौगोलिक इलाकों में भी सफलतापूर्वक लक्ष्य पर वार कर सके।
रणनीतिक प्रभाव: निवारक शक्ति, समुद्री प्रभुत्व और जियोपॉलिटिक्स
Extended Deterrence: 800 किमी रेंज के साथ भारत अब अधिक गहराई तक दुश्मन के ठिकानों को टारगेट कर सकता है।
Precision Strike Capability: मिसाइल का सुपरसोनिक वेग दुश्मन की रक्षा प्रणाली को प्रतिक्रिया का अवसर नहीं देता।
Sea Denial Operations: यह नौसेना के लिए महत्वपूर्ण “anti-ship strike” क्षमता प्रदान करती है।
Export Potential: भारत भविष्य में मित्र देशों को BrahMos की आपूर्ति कर सकता है, जिससे रक्षा-उद्योग को आर्थिक लाभ होगा।
Geopolitical Edge: इस मिसाइल की तैनाती से भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान सीमाओं पर सामरिक संतुलन और मजबूत होगा।
तुलनात्मक विश्लेषण: अन्य प्रमुख क्रूज़ मिसाइलों से तुलना
| मिसाइल | देश | रेंज | गति | वर्ग |
|---|---|---|---|---|
| BrahMos (India-Russia) | भारत/रूस | 800 किमी | Mach 2.8 – 3.0 | सुपरसोनिक |
| Tomahawk (USA) | अमेरिका | 1600 किमी | Subsonic (Mach 0.7) | क्रूज़ |
| CJ-10 (China) | चीन | 1500 किमी | Subsonic | क्रूज़ |
| Yakhont (Russia) | रूस | 300 किमी | Mach 2.5 | सुपरसोनिक |
BrahMos अपनी गति + सटीकता के संयोजन में विश्व-स्तरीय मिसाइलों में अग्रणी है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
800 किमी वेरिएंट के लिए इंजन-दक्षता और वज़न-संतुलन जैसे तकनीकी सुधार जारी हैं।
वायु-लॉन्च वेरिएंट को और हल्का बनाने की दिशा में काम हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियमों और रणनीतिक नियंत्रणों के तहत निर्यात-योग्यता सुनिश्चित करनी होगी।
अगला चरण — हाइपरसोनिक BrahMos-II, जिसकी गति Mach 7 – 8 तक होगी, पर अनुसंधान जारी है।
निष्कर्ष
BrahMos का 800 किमी रेंज वेरिएंट न केवल भारत के लिए तकनीकी सफलता है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर उसकी रक्षा क्षमता का परिचायक भी है।
इस परीक्षण ने यह साबित किया है कि भारत अब दीर्घ-दूरी, तेज़-गति और सटीक हमले की क्षमता से लैस है।
यह “Make in India in Defence” की दिशा में एक और मजबूत कदम है, जो देश की सुरक्षा और आत्मनिर्भरता दोनों को नई ऊँचाई पर ले जाएगा।

























