IAS सुप्रिया साहू को UN का सर्वोच्च पर्यावरण सम्मान

IAS Supriya Sahu Becomes India’s UN Environmental Award Winner

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भारत ने एक बार फिर वैश्विक मंच पर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। तमिलनाडु कैडर की वरिष्ठ IAS अधिकारी सुप्रिया साहू को संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पर्यावरण पुरस्कारों में से एक “Champions of the Earth Award” से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान को मान्यता देता है, बल्कि भारत की पर्यावरणीय सोच, नीतियों और जमीनी स्तर पर किए गए प्रयासों को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाता है।

आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, बढ़ते तापमान, प्राकृतिक संसाधनों के क्षरण और पर्यावरणीय संकट से जूझ रही है, ऐसे समय में सुप्रिया साहू जैसी प्रशासनिक अधिकारी आशा की एक मजबूत किरण बनकर उभरी हैं। उनका कार्य यह साबित करता है कि अगर नीतियों को ईमानदारी, विज्ञान और समाज की भागीदारी के साथ लागू किया जाए, तो बड़े बदलाव संभव हैं।

सुप्रिया साहू – एक परिचय

सुप्रिया साहू एक वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं। वह तमिलनाडु सरकार में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (Additional Chief Secretary) के पद पर कार्यरत हैं, जहाँ उनका विभाग पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन (Environment, Climate Change and Forests) से जुड़ा हुआ है।

उनका जन्म 27 जुलाई 1968 को हुआ था और उन्होंने 1991 में IAS में प्रवेश किया। अपने 30 से अधिक वर्षों के सेवा अनुभव में उन्होंने तमिलनाडु और भारत में पर्यावरण संरक्षण, जंगलों को बढ़ावा देने, समुद्र तट संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाई है।

UN का सबसे बड़ा पर्यावरण पुरस्कार — Champions of the Earth

ये पुरस्कार क्या है?

  • Champions of the Earth Award संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा दिया जाता है।

  • इसे UN का सर्वोच्च और सर्वाधिक प्रतिष्ठित पर्यावरणीय सम्मान माना जाता है।

  • 2005 से यह पुरस्कार वैश्विक पर्यावरण नेताओं और संस्थाओं को दिया जा रहा है।

  • यह सम्मान हर साल उन लोगों को मिलता है जिनके कार्य से पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण और वास्तविक प्रभाव दिखाई देता है।

Champions of the Earth Award संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पर्यावरणीय सम्मान है। इस पुरस्कार की शुरुआत 2005 में की गई थी और तब से यह उन व्यक्तियों, संस्थाओं और नेताओं को दिया जाता है जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में असाधारण और प्रभावशाली योगदान दिया हो।

यह पुरस्कार कई श्रेणियों में दिया जाता है, जिनमें से एक प्रमुख श्रेणी है “Inspiration and Action”
सुप्रिया साहू को इसी श्रेणी में सम्मानित किया गया है, जो उन नेताओं को दिया जाता है जिन्होंने न केवल प्रेरणा दी हो, बल्कि अपने निर्णयों और कार्यों से वास्तविक परिवर्तन भी लाया हो।

सुप्रिया साहू को किस श्रेणी में मिला?

सुप्रिया साहू को “Inspiration and Action” (प्रेरणा और कार्रवाई) श्रेणी में 2025 का यह पुरस्कार मिला।
इस श्रेणी में उन लोगों को सम्मानित किया जाता है जिन्होंने न केवल प्रेरणादायक नेतृत्व दिखाया है बल्कि व्यावहारिक और प्रभावी कार्यों के जरिए बड़े पैमाने पर पर्यावरण संरक्षण को लागू भी किया है।

मुख्य पर्यावरणीय कार्य और प्रोजेक्ट्स

सुप्रिया साहू ने तमिलनाडु में कई बड़े और प्रभावशाली पर्यावरण कार्यक्रमों का नेतृत्व किया है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:

Sustainable Cooling और Heat Resilience Initiatives

उनके नेतृत्व में Cool Roof Project की शुरुआत की गई, जिसके तहत:

  • सरकारी स्कूलों

  • सार्वजनिक भवनों

  • गरीब और कमजोर वर्ग के घरों

की छतों को विशेष रिफ्लेक्टिव (सफेद) सामग्री से तैयार किया गया।

इस पहल का परिणाम यह हुआ कि:

  • घरों के अंदर का तापमान 5–8 डिग्री सेल्सियस तक कम हुआ

  • बिजली की खपत में कमी आई

  • एयर कंडीशनर और कूलर पर निर्भरता घटी

  • गरीब परिवारों को आर्थिक राहत मिली

यह परियोजना आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई गर्म देशों के लिए एक मॉडल पॉलिसी बन चुकी है।

बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण और जंगलों का विस्तार

सुप्रिया साहू के नेतृत्व में तमिलनाडु ने हरित क्षेत्र बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किए।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • 1 करोड़ से अधिक पेड़ लगाए गए

  • वन क्षेत्र (Forest Cover) में उल्लेखनीय वृद्धि

  • कई नए Reserve Forests की घोषणा

  • बंजर और क्षतिग्रस्त भूमि को फिर से हरा-भरा बनाया गया

पेड़ केवल ऑक्सीजन ही नहीं देते, बल्कि:

  • तापमान नियंत्रित करते हैं

  • जल संरक्षण में मदद करते हैं

  • जैव विविधता को बढ़ावा देते हैं

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनकी नीतियाँ बनाई गईं।

वेटलैंड और मैंग्रोव संरक्षण

पर्यावरण संरक्षण में सुप्रिया साहू का दृष्टिकोण केवल जंगलों तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने Wetlands (आर्द्रभूमि) और Mangroves (मैंग्रोव जंगलों) के संरक्षण को भी प्राथमिकता दी।

  • वेटलैंड्स की संख्या 1 से बढ़ाकर लगभग 20 तक की गई

  • मैंग्रोव कवर को लगभग दोगुना किया गया

मैंग्रोव जंगल:

  • समुद्री तूफानों से सुरक्षा देते हैं

  • मछलियों और समुद्री जीवों का घर होते हैं

  • कार्बन अवशोषण में अहम भूमिका निभाते हैं

यह कदम विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और समुद्र स्तर बढ़ने के खतरे से निपटने में बेहद महत्वपूर्ण है।

प्लास्टिक के खिलाफ जंग: Operation Blue Mountain

प्लास्टिक प्रदूषण आज दुनिया की सबसे बड़ी पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। सुप्रिया साहू ने इसे गंभीरता से लेते हुए Operation Blue Mountain की शुरुआत की।

इस अभियान के तहत:

  • सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर सख्ती

  • कचरा प्रबंधन को मजबूत किया गया

  • समुद्री जीवों की सुरक्षा पर फोकस किया गया

इस अभियान की प्रेरणा तब मिली जब जानवरों के पेट में बड़ी मात्रा में प्लास्टिक पाया गया। इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई की गई।

वन्यजीव संरक्षण और दुर्लभ प्रजातियाँ

वन्यजीव संरक्षण सुप्रिया साहू के कार्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। उन्होंने Endangered Species Conservation Fund की स्थापना में अहम भूमिका निभाई।

  • लगभग 60 मिलियन डॉलर का फंड

  • दुर्लभ और संकटग्रस्त जीवों की सुरक्षा

  • प्राकृतिक आवास (Habitat) का संरक्षण

इस पहल से जैव विविधता को स्थिरता मिली और कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा कम हुआ।

25 लाख से अधिक Green Jobs

पर्यावरण संरक्षण को रोजगार से जोड़ना सुप्रिया साहू की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

उनकी नीतियों और परियोजनाओं से:

  • 25 लाख से अधिक ग्रीन जॉब्स पैदा हुए

  • स्थानीय लोगों को रोजगार मिला

  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई

इन नौकरियों में:

  • वृक्षारोपण

  • जंगलों की देखभाल

  • जल संरक्षण

  • कचरा प्रबंधन

जैसे कार्य शामिल हैं।

UN Award क्यों मिला? (मुख्य कारण)

UN ने उन्हें यह सम्मान उनके अद्वितीय नेतृत्व और दीर्घकालिक पर्यावरणीय योगदान के लिए दिया है:

सतत ठंडा समाधान (Sustainable Cooling) – तापमान और गर्मी के प्रभाव से प्रभावी ढंग से निपटना।
पारिस्थितिकी की बहाली (Ecosystem Restoration) – जंगलों और दलदलों को पुनर्जीवित करना।
ग्रीन जॉब्स का सृजन – पर्यावरण के क्षेत्र में रोजगार पैदा करना।
समुदाय आधारित conservation – लोगों और समुदायों को पर्यावरण कार्यों में पड़ाव देना।

भारत के लिए इस सम्मान का महत्व

  1. भारत का वैश्विक नेतृत्व – यह सम्मान यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक पर्यावरण कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

  2. राज्य सरकारों की सक्रिया भागीदारी – यह प्रमाण है कि राज्य स्तर पर भी क्लाइमेट क्राइसिस का समाधान संभव है।

  3. स्थानीय समुदायों को प्रेरणा – गाँव, शहर और युवा वर्ग को पर्यावरण की दिशा में काम करने की प्रेरणा मिली है।

  4. स्वस्थ जीवन और सतत विकास – पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता बेहतर बन रही है।

प्रेरणा का उदाहरण: Doon Defence Dreamers

सुप्रिया साहू जैसे प्रेरणादायक नेतृत्व की तरह, Doon Defence Dreamers best NDA coaching in Dehradun भी युवाओं में नेतृत्व, अनुशासन, देशभक्ति और जिम्मेदारी का विकास करने में अहम भूमिका निभाता है। संस्थान केवल परीक्षा की तैयारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों को सशस्त्र बलों में सेवा, राष्ट्रीय सुरक्षा और समाज के लिए योगदान देने की भावना भी सिखाता है। उदाहरण के तौर पर, NDA/NA (II) 2025 में इस संस्थान ने 710+ उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा में चयनित कराया और NDA 155 SSB इंटरव्यू में 35 अंतिम सिफारिशें, जिनमें 6 महिला उम्मीदवार भी शामिल थीं, प्राप्त कीं।

यह सफलता दर्शाती है कि सही मार्गदर्शन और व्यवस्थित प्रशिक्षण से केवल व्यक्तिगत करियर ही नहीं सुधरता, बल्कि यह देश के लिए सक्षम, जिम्मेदार और प्रेरणादायक नेतृत्वकर्ता तैयार करता है। जैसे सुप्रिया साहू ने पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्रीय हित के लिए उत्कृष्ट कार्य किए, वैसे ही Doon Defence Dreamers युवाओं को विफलताओं से सीखते हुए, कठिन परिश्रम और दृढ़ निश्चय के माध्यम से सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करता है। इस प्रकार के प्रयास न केवल व्यक्तिगत विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, समाज और पर्यावरण के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में भी मदद करते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

सुप्रिया साहू का यह सम्मान केवल उनके लिए नहीं है — यह भारत के पर्यावरण संरक्षण, जलवायु बदलाव, और सतत भविष्य के प्रयासों की वैश्विक मान्यता है।
उनकी जीवन यात्रा, कार्य नीति, सामुदायिक भागीदारी और विज्ञान आधारित कार्य हम सभी को सिखाती है कि पर्यावरण संरक्षण में केवल नीति नहीं — कर्म और समाज की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।

उनकी उपलब्धियाँ यह दिखाती हैं कि छोटे-छोटे कार्य, जब बड़े लक्ष्य के साथ जुड़ते हैं, तो वे पूरी दुनिया में बदलाव ला सकते हैं।

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