भारत के प्रमुख विकास 2024–25: राष्ट्रीय स्तर पर अपडेट

India’s Major Developments 2024–25 Key National Updates, भारत के प्रमुख विकास 2024–25: राष्ट्रीय स्तर पर अपडेट

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NITI Aayog का वाटर बजेटिंग रिपोर्ट – भारत की जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम (विस्तृत विश्लेषण)

सन 2024–25 में, NITI Aayog ने एक विस्तृत Water Budgeting and Water Balance Assessment Report जारी की, जिसका उद्देश्य भारत में तेजी से बढ़ती जल-कमी से निपटना है। यह रिपोर्ट राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम-स्तर पर वैज्ञानिक जल-बजटिंग की तत्काल आवश्यकता पर जोर देती है और हाल के वर्षों की सबसे व्यापक जल-शासनकारी दस्तावेज़ों में से एक मानी जा सकती है।

जनसंख्या दबाव, कृषि-मांग, जलवायु परिवर्तन और कुप्रबंधन के कारण भारत एक तेज़ बढ़ती जल-तनाव की चरण में प्रवेश कर रहा है। इसलिए यह रिपोर्ट अगले दशक के लिए जल-सततता सुनिश्चित करने का एक रणनीतिक राष्ट्रीय रोडमैप प्रस्तुत करती है।

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

जनसंख्या–जल उपलब्धता असंतुलन

  • भारत की जनसंख्या वैश्विक कुल का 18% है, पर उसके पास वैश्विक मीठे जल संसाधनों का केवल 4% उपलब्ध है।

  • NITI Aayog के अनुसार 600 मिलियन से अधिक लोग हर साल उच्च या अत्यधिक जल-तनाव का अनुभव करते हैं।

  • लगभग 75% घरों में स्वच्छ नल का पानी नहीं पहुंचता।

सूक्ष्म-स्तर (माइक्रो-लेवल) वाटर-बैलेंस शीट

  • रिपोर्ट ग्राम, गाँव पंचायत, जिला और राज्य स्तर पर वार्षिक जल-बैलेंस शीट बनाने की सिफारिश करती है।

  • इन शीटों में शामिल होना चाहिए:

    • कुल उपलब्ध पानी (सतही + भूजल + वर्षाजल)

    • घरेलू और कृषि-मांग

    • औद्योगिक खपत

    • मौसमी कमी और अधिशेष

अनिवार्य भूजल ऑडिट

  • जिन राज्यों में भूजल संकट गंभीर है, वहां वार्षिक ऑडिट अनिवार्य किए जाएं।

  • उच्च-जोखिम क्षेत्र: पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तरी कर्नाटक, बुंदेलखंड

  • भारत के 60% से अधिक जिलों में भूजल निकासी पुनर्भरण से अधिक है।

फसल-विविधीकरण और जल-कुशल कृषि

  • रिपोर्ट बताती है कि धान और गन्ना जैसी फसलें जल-अनुकूल विकल्पों की तुलना में 60–80% अधिक पानी खपत करती हैं।

  • सिफारिशें:

    • मिलेट्स, दलहनी, तिलहन और सूखा-प्रतिरोधी विविधता बढ़ाना।

    • सूक्ष्म-सिंचाई (ड्रिप, स्प्रिंकलर) अपनाना — यह पानी की खपत 30–40% तक बचा सकती है।

    • कम जल-लागत वाले चारा फ़सल को प्रोत्साहित करना।

सामुदायिक जल-शासन समितियाँ

  • रिपोर्ट ग्राम-स्तर पर Village Water Councils (VWCs) बनाने का सुझाव देती है ताकि वे:

    • स्थानीय जल उपलब्धता मॉनिटर करें

    • ग्राम जल-बैलेंस शीट बनाएँ व अपडेट करें

    • भूजल निकासी को नियंत्रित करें

    • समुदाय की भागीदारी बढ़ाएँ

  • उद्देश्य यह है कि जल-प्रबंधन समुदाय-चालित हो, केवल ऊपर-से-नीचे न हो।

जल-बजेटिंग क्यों महत्वपूर्ण है

मौसमी और दीर्घकालिक जल-कमी का पूर्वानुमान

  • जल-बजेटिंग से पहचान होती है:

    • मौसमी कमी

    • सूखा-साइकल

    • किन इलाकों को टैंकर आपूर्ति चाहिए

    • किस जगह स्टोरेज संरचनाएँ बनानी चाहिए

बेहतर जल-अवसंरचना योजना

  • वैज्ञानिक आधार पर निम्नलिखित संरचनाओं का निर्माण संभव होता है:

    • चेक-डैम

    • रिचार्ज-पिट

    • वॉटरशेड संरचनाएँ

    • ग्रेवाटर रीयूज़ सिस्टम

    • सामुदायिक जलाशय

कुशल सिंचाई और कृषि प्रबंधन

  • किसानों को उपलब्ध जल के अनुसार फसल-पैटर्न योजना बनाने में मदद मिलती है।

  • सूखे मौसम के दौरान भूजल के अति-दोहन को रोका जा सकता है।

बेहतर शहरी जल-प्रबंधन

  • शहरी स्थानीय निकाय दैनिक जलापूर्ति, गैर-राजस्व पानी घटाने, वर्षाजल संचयन और लीकेज ऑडिट प्लान कर सकते हैं।

दीर्घकालिक जलवायु अनुकूलन

  • जल-बजेटिंग अहम है क्योंकि भारत को:

    • बढ़ती सूखे की आवृत्ति

    • अनियमित मानसून

    • तेज़ भूजल गिरावट

    • अधिक蒸発 (evapotranspiration) का सामना करना पड़ रहा है

रिपोर्ट में पहचाने गए बड़े जोखिम

घटती भूजल-स्तरियाँ

  • भारत के मीठे जल का लगभग 70% भूजल से आता है।

  • पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में, वर्तमान निकासी दरों पर कृषि क्षेत्र 10–15 वर्षों में संकट में पड़ सकता है।

खराब जल-गुणवत्ता

  • 65% से अधिक घरों द्वारा संदूषित जल स्रोतों का उपयोग।

  • पानी में फ्लोराइड, आर्सेनिक, नाइट्रेट और लवणता की उच्च उपस्थिति कई जगहें चिंताजनक हैं।

शहरी जल-तनाव

  • 21 बड़े शहर, जैसे दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, जल्द ही भूजल-खत्म होने का खतरा झेल सकते हैं।

जलवायु-कारक अस्थिरता

  • 2030 तक वर्षा-विश्वसनीयता में 5–10% की कमी की आशंका।

  • अधिक फ्लैश-फ्लड और सूखे की घटनाएँ अधिक होंगी।

नीतिगत जुड़ाव — रिपोर्ट का राष्ट्रीय योजनाओं के साथ संबंध

अटल भूजल योजना (Atal Bhujal Yojana)

  • भूजल रिचार्ज का समर्थन करती है।

  • सामुदायिक भागीदारी बढ़ाती है।

  • वर्तमान में 7 राज्यों में लागू है।

जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission)

  • हर घर को नल-जल (Har Ghar Jal) मुहैया कराने का लक्ष्य।

  • जल-बजेटिंग आपूर्ति और मांग का आकलन करने में मदद करती है।

जल शक्ति अभियान (Jal Shakti Abhiyan)

  • ग्राम-स्तर पर जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।

  • जल-बजेटिंग इस अभियान को वैज्ञानिक रूप देता है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PM Krishi Sinchai Yojana)

  • कुशल सिंचाई पर केंद्रित।

  • जल-बजेटिंग सूक्ष्म-सिंचाई की योजना में मार्गदर्शन करती है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA)

  • जल संरक्षण संरचनाओं हेतु वित्त प्रदान करती है।

  • जल-बजेट यह निर्धारित करने में मदद करता है कि कहाँ संरचनाएँ बने।

भारत की जल-सुरक्षा का भविष्य — रिपोर्ट के सुझाव

उद्योगों के लिए अनिवार्य जल-ऑडिट

  • उद्योगों को जल उपयोग मानदंडों का पालन करना होगा।

  • पानी-गहन व्यवसायों (कपड़ा, चीनी मिल, ब्रुअरी आदि) के लिए रीसायक्लिंग अनिवार्य हो सकती है।

डिजिटल जल-मॉनिटरिंग

  • भूजल स्तर हेतु रियल-टाइम सेंसर।

  • आक्विफर का GIS बेस्ड मानचित्रण।

  • ग्राम व राज्य-स्तर के लिए ऑनलाइन डैशबोर्ड।

स्कूल-स्तरीय जल साक्षरता पाठ्यक्रम

  • संरक्षण जागरूकता पैदा करने के लिए।

  • युवाओं को जल-प्रबंधन में संलग्न करने के उद्देश्यों से पाठ्यक्रम।

स्मार्ट जल-प्राइसिंग

  • शहरी क्षेत्रों में ओवरयूज़ को रोकने हेतु स्लैब-आधारित मूल्य सहायता।

  • रीयूज़ और रीसायक्लिंग को प्रोत्साहन।

Important Points – NITI Aayog Water Budgeting Report (परीक्षा-सहायक संक्षेप)

  • भारत की जनसंख्या वैश्विक कुल का 18%, पर मीठे जल का सिर्फ 4%

  • लगभग 600 मिलियन लोग हर साल उच्च/अत्यधिक जल-तनाव का सामना करते हैं।

  • 60%+ जिलों में भूजल निकासी पुनर्भरण से अधिक।

  • रिपोर्ट ग्राम/जिला/राज्य स्तर पर वार्षिक जल-बैलेंस शीट बनाने का निर्देश देती है।

  • उच्च-जोखिम राज्य: पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तरी कर्नाटक, बुंदेलखंड

  • आलोचना-क्षेत्रों में भूजल ऑडिट अनिवार्य करने का सुझाव।

  • पानी-खपत वाले फसलों (धान, गन्ना) से हटकर फसल-विविधीकरण की सिफारिश।

  • सूक्ष्म-सिंचाई (ड्रिप/स्प्रिंकलर) से 30–40% पानी बच सकता है।

  • ग्राम-स्तर पर Village Water Councils/Water Governance Committees बनाने की सलाह।

  • वर्षाजल संचयन, चेक-डैम, रिचार्ज पिट, वॉटरशेड विकास, ग्रेवाटर रीयूज़ पर जोर।

  • GIS और सेंसर के जरिए भूजल का रियल-टाइम डिजिटल मॉनिटरिंग जरूरी।

  • योजना-लिंक: Jal Jeevan Mission, Atal Bhujal Yojana, Jal Shakti Abhiyan

  • शहरी जोखिम: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद जैसे 21 शहर भूजल-दिक्‍कत में।

  • जलवायु प्रभाव: सूखे की आवृत्ति बढ़ेगी, मानसून अस्थिर होगा; 2030 तक 5–10% वर्षा-परिवर्तन की संभावना।

  • उद्योगों के लिए रीसायक्लिंग अनिवार्य करनी चाहिए।

  • समुदाय-केंद्रित प्रबंधन को प्राथमिकता दी जाए।

  • स्कूल-स्तरीय पाठ्यक्रम से जागरूकता फैलानी चाहिए।

  • शहरी क्षेत्रों में स्मार्ट प्राइसिंग लागू कर उपयोग कम करना चाहिए।

  • जल-बजेटिंग कृषि योजना, शहरी आपूर्ति और जलवायु-रोधी क्षमता के लिए अनिवार्य है।

2. India–USA Javelin Missile Deal – रक्षा संबंधों का सशक्तिकरण (विस्तृत व परीक्षा-सहायक सारांश)

(यहाँ मूल आर्टिकल के समानभाग का सटीक हिन्दी अनुवाद)

सन 2024 के अंत में, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण रक्षा सहयोग समझौता अंतिम रूप दिया जिसमें FGM-148 Javelin Anti-Tank Guided Missile का भारत में सह-उत्पादन शामिल है। यह समझौता भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता, उन्नत युद्धक्षेत्र तकनीक और अमेरिका के साथ गहरा सैन्य सहयोग सुनिश्चित करने में मील का पत्थर है।

यह सह-उत्पादन पहल U.S.–India Defence Industrial Cooperation Roadmap के तहत आती है और ‘Make in India’, रक्षा-निर्जीवनकरण तथा उच्च-स्तरीय तकनीक हस्तांतरण के लक्ष्यों से मेल खाती है। समझौते में संयुक्त निर्माण, गुणवत्ता परीक्षण और मित्र देशों को निर्यात के अवसर शामिल हैं।

Javelin Missile क्या है?

  • FGM-148 Javelin दुनिया के अग्रणी मान-पोर्टेबल, फायर-एंड-फॉरगेट एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल में से एक है।

  • यह उच्च सटीकता और भरोसेमन्द प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।

  • कई संघर्षों (जैसे इराक, अफगानिस्तान, यूक्रेन) में इसका उपयोग हुआ है।

प्रमुख विशेषताएँ

  • इन्फ्रारेड होमिंग गाइडेंस (एक बार फायर करने पर ऑपरेटर द्वारा ट्रैकिंग की आवश्यकता नहीं)।

  • सीमा (रेंज): लगभग 2.5 km, कुछ नए वेरिएंट 3 km से अधिक तक जाते हैं।

  • प्रयोजन: बख्तरबंद वाहन, बंकर, कम-ऊँचाई हेलीकॉप्टर और कटीनीकृत ठोस लक्ष्यों को नष्ट करना।

  • टैन्डेम HEAT वारहेड — आधुनिक रिएक्टिव-आर्मर से प्रभावित लिए डिज़ाइन।

  • दो हमले के मोड: टॉप-अटैक (टैंक के कमजोर ऊपरी हिस्से को लक्षित) और डायरेक्ट-अटैक (बंकर/दीवार/सॉफ्ट टार्गेट)।

  • हल्का और उपयोग में आसान; उच्च-ऊँचाई/पहाड़ी इलाकों के लिये उपयुक्त।

India–USA Javelin Deal के मुख्य पहलू

सह-उत्पादन

  • Javelin का सह-उत्पादन Lockheed Martin, Raytheon और भारतीय रक्षा कंपनियों के साथ होगा।

  • विनिर्माण में शामिल होंगे: मिसाइल घटक, गाइडेंस यूनिट, लॉन्च सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक असेंबली।

तकनीक हस्तांतरण

  • भारत को सीकर और इन्फ्रारेड इमेजिंग जैसी महत्वपूर्ण तकनीकें मिलेंगी।

  • Javelin के फायर-एंड-फॉरगेट एल्गोरिथ्म की पहुंच — यह सामान्यतः बहुत नियंत्रित तौर पर साझा की जाती है।

  • इससे भारत की घरेलू ATGM विकास क्षमता मजबूत होगी।

औद्योगिक व निर्यात लाभ

  • भारत एशिया-अफ्रीका के लिए उत्पादन-हब बन सकता है।

  • निजी और सार्वजनिक रक्षा क्षेत्र में हजारों रोजगार पैदा होंगे।

  • भारत का Quad रक्षा-सप्लाई-चेन में स्थान मजबूत होगा।

यह समझौता क्यों महत्वपूर्ण है?

  1. स्ट्रैटेजिक महत्व (बख्तरबंद खतरों के विरुद्ध):

    • लद्दाख में तैनात चीनी बख्तरबंद ताकतों का मुकाबला करने की क्षमता बढ़ेगी।

    • पाकिस्तान की बख्तरबंद तैनाती के खिलाफ भी मजबूत निरोधक शक्ति बनेगी।

  2. पहाड़ी युद्धकौशल में बढ़ोतरी:

    • Javelin का पोर्टेबिलिटी इसे उच्च-ऊँचाई नीति के पैदल सेना के लिये उपयोगी बनाती है।

  3. रूसी निर्भरता कम करना:

    • Konkurs और Kornet जैसे रूसी ATGM पर निर्भरता घटेगी।

  4. भारत–अमेरिका रणनीतिक साझेदारी में वृद्धि:

    • यह उच्च-प्रौद्योगिकी रक्षा सहयोग की दिशा में एक बड़ा कदम है।

  5. आत्मनिर्भरता और दीर्घकालिक क्षमता निर्माण:

    • भारत को इन्फ्रारेड इमेजिंग, गाइडेंस टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़ और सीकर टेक में विशेषज्ञता मिलेगी — भविष्य के मिसाइल विकास के लिए अहम।

Important Points – India–USA Javelin Missile Deal (परीक्षा-सार)

  • Javelin एक मान-पोर्टेबल, फायर-एंड-फॉरगेट ATGM है; रेंज ≈ 2.5 km

  • सह-उत्पादन ‘Make in India’ व US–India Defence Roadmap के तहत।

  • तकनीक हस्तांतरण में विशेषकर इन्फ्रारेड सिकर शामिल।

  • टॉप-अटैक व डायरेक्ट-अटैक मोड में सक्षम; आधुनिक टैंक/बंकर पर प्रभावी।

  • लद्दाख जैसे ऊँचे इलाकों में पैदल सेना की क्षमता मजबूत होगी।

  • रूसी मिसाइलों पर निर्भरता कम होगी।

  • भारत–अमेरिका रक्षा रिश्ते और मजबूत होंगे।

  • भारत के लिए निर्यात संभावनाएँ खुलेंगी; Indo-Pacific में बाजार मिलेगा।

  • रक्षा-निर्जीवनकरण और आत्मनिर्भरता के उद्देश्य में सहायक है।

3. Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY) – नई सुधार और प्रभाव (विस्तृत अनुवाद)

Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY), जो 2016 में शुरू हुई थी, किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीट, रोग और मौसम-चरित्र की वजह से फसल हानि से बचाने के लिए भारत की प्रमुख फसल बीमा योजना है। 2024–25 में स्कीम में बड़े सुधार किए गए ताकि यह अधिक पारदर्शी, तेज़ और किसानों-अनुकूल बन सके।

नए सुधार सरकार की उस प्रतिबद्धता का प्रतिबिंब हैं जो एक तकनीक-संवर्धित, किसान-केंद्रित बीमा पारिस्थितिकी बनाने की दिशा में है ताकि समय पर मुआवजा मिले और प्रशासनिक देरी कम हो।

हालिया प्रमुख सुधार (विस्तृत)

  1. AI-आधारित तेज़ दावा निपटान

    • AI ड्रिवन क्रॉप-लॉस असेसमेंट मॉडल लागू किए गए हैं।

    • मशीन-लर्निंग टूल मौसम विचलन, वेजिटेशन चेंज, फसल स्वास्थ्य पैटर्न और उपज परिवर्तन का विश्लेषण करते हैं।

    • इससे मैनुअल निर्भरता घटती है और दावा आकलन तेज़ होता है।

  2. सैटेलाइट इमेजरी और ड्रोन-आधारित मूल्यांकन

    • ड्रोन का उपयोग रियल-टाइम डैमेज मैपिंग, आपदा के बाद क्षेत्र सर्वे और उच्च-रिज़ॉल्यूशन जियो-टैग सर्वे के लिए किया जाता है।

    • सैटेलाइट डेटा क्षेत्रीय उपज-अनुमान में मदद करता है और विवादों को कम करता है।

  3. किसानों के प्रीमियम पर कैप-रکھना

    • किसानों का साझा प्रीमियम कायम रखा गया:

      • Kharif: 2%

      • Rabi: 1.5%

      • Commercial/Horticulture: 5%

    • शेष प्रीमियम सरकार व बीमाकर्ता साझा करते हैं।

  4. ऋणी किसानों के लिये वालंटरी नामांकन

    • पहले कर्जदार किसानों को अनिवार्य रूप से नामांकित किया जाता था; अब यह स्वैच्छिक है।

    • इससे बैंक खातों से बिना सहमति कटौती जैसी समस्याएँ कम होंगी।

  5. मोबाइल-आधारित क्रॉप-इन्श्योरेंस ऐप

    • किसान दावा दर्ज कर सकते हैं, क्षतिग्रस्त फसलों की तस्वीरें अपलोड कर सकते हैं और दावा-स्थिति ट्रैक कर सकते हैं।

    • ऐप कई स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है।

  6. मल्टी-स्टेकहोल्डर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म

    • एकीकृत पोर्टल किसानों, बीमाकर्ताओं, बैंकों और राज्य सरकारों को जोड़ता है।

    • पारदर्शी प्रोसेसिंग और डेटा त्रुटियों में कमी सुनिश्चित करता है।

  7. स्थानीयकृत आपदा-आकलन पर जोर

    • जिला-स्तरीय के स्थान पर ग्राम/पंचायत-स्तरीय सूक्ष्म आकलन अपनाया गया है।

    • इससे छोटे-छोटे नुकसान भी पहचाने जा सकते हैं।

क्यों सुधार आवश्यक थे?

  1. दावों का लंबा समय-लागत — कई बार महीनों तक दावे निपटते थे, जिससे किसान आर्थिक तंगी में पड़ जाते थे।

  2. अनुचित या अपूर्ण हानि आकलन — पारंपरिक CCE (Crop Cutting Experiments) धीमे और त्रुटिपूर्ण थे।

  3. पारदर्शिता की कमी — किसानों को दावा स्थिति, प्रीमियम कटौती या अस्वीकृति के कारणों की स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती थी।

  4. समन्वय की कमी — बैंक, बीमाकर्ता और राज्य प्राधिकरणों के बीच डेटा साझा/अपडेट न होना।

  5. बढ़ता जलवायु जोखिम — अनियमित वर्षा, सूखा, बाढ़, हीटवेव और चक्रवात ने अधिक सक्षम प्रणाली की आवश्यकता बढ़ाई।

2024–25 सुधारों का प्रभाव

  1. अधिक सटीक दावे — AI व सैटेलाइट से वास्तविक हानि का बेहतर आकलन; विवादों में कमी।

  2. तेज़ मुआवजा — दावों का समय-कम; किसानों को समय पर वित्तीय सहायता।

  3. किसान भागीदारी में वृद्धि — वैकल्पिक नामांकन और पारदर्शिता से विश्वास बढ़ा।

  4. बेहतर आपदा-तैयारी — रियल-टाइम मॉनिटरिंग से तात्कालिक सरकारी प्रतिक्रिया में सुधार।

  5. डिजिटल पारिस्थितिकी मजबूत — डेटा-आधारित सत्यापन से धोखाधड़ी में कमी और प्रोसेसिंग तेज़ हुई।

Important Points – PM Fasal Bima Yojana (परीक्षा-सार)

  • 2016 में लॉन्च; 2024–25 में प्रमुख सुधार।

  • AI, ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी का इस्तेमाल दावों के आकलन के लिए।

  • किसान प्रीमियम: Kharif 2% / Rabi 1.5% / Commercial 5%

  • ऋणी किसानों के लिए अब नामांकन स्वैच्छिक है।

  • मोबाइल ऐप से दावा-ट्रैकिंग की सुविधा।

  • ग्राम-स्तर पर सूक्ष्म आकलन अपनाया गया है।

  • उद्देश्य: तकनीक-आधारित, किसान-केंद्रित बीमा सिस्टम बनाना।

4. RBI की आगामी मौद्रिक नीति – क्या उम्मीद करें (हिन्दी सारांश और महत्वपूर्ण बिंदु)

Reserve Bank of India (RBI) की Monetary Policy Committee (MPC) की बैठक हर साल छह बार होती है और दिसम्बर की बैठक पर खास नज़र रहती है क्योंकि इसका प्रभाव सार्वजनिक, बैंकों और बाजारों पर व्यापक होता है।

आपके नोट्स के सवालों — “RBI क्या जारी करता है?”, “कितने लक्ष्य?”, “CPI इन्फ्लेशन क्या है?”, “महत्वपूर्ण शब्द?” — इन सबका सार नीचे दिया गया है।

RBI क्या जारी करता है?

RBI Monetary Policy Statement जारी करता है जिसमें शामिल होते हैं:

  • Repo Rate

  • Reverse Repo Rate

  • MSF (Marginal Standing Facility)

  • Bank Rate

  • CRR (Cash Reserve Ratio)

  • SLR (Statutory Liquidity Ratio)

  • मुद्रास्फीति (Inflation) और GDP ग्रोथ का आउटलुक

RBI के मौद्रिक लक्ष्‍य

  • RBI का प्राथमिक लक्ष्य CPI इन्फ्लेशन को 4% ± 2% पर बनाए रखना है — यानी 2% से 6% के बीच।

जानने योग्य प्रमुख शब्द

  • Repo Rate: RBI द्वारा बैंकों को उधार देने की दर।

  • Reverse Repo: RBI द्वारा बैंकों से पैसे जमा लेने की दर।

  • CRR: बैंकों की कुल जमा राशि का वह हिस्सा जो RBI के पास नकद में रखना अनिवार्य है।

  • SLR: बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में रखा जाने वाला प्रतिशत।

  • MSF: बैंकों के लिए आपातकालीन उधार-विन्डो।

RBI के संभावित कदम (दिसम्बर की बैठक संदर्भ में)

(आर्थिक संकेतकों के आधार पर)

  • CPI इन्फ्लेशन 5% से ऊपर रह सकता है।

  • इसलिए Repo Rate में कटौती पर रुकाव (pause) बरकरार रह सकती है।

  • तरलता-कठोरता (liquidity tightening) के कदम सम्भव।

  • खाद्य-मूल्य मुद्रास्फीति पर नियंत्रण और रुपया-स्थिरीकरण पर ध्यान रहेगा।

  • यह नीति आवास, ऋण, बैंकिंग और निवेश-क्षेत्रों को प्रभावित करेगी।

RBI Governor और Deputy Governors (संक्षेप)

  • RBI Governor (G.G): नियुक्ति अवधि 3 वर्ष; सरकार द्वारा बढ़ाई जा सकती है।

  • Deputy Governors (Delta G): प्रत्येक की अवधि 5 साल या उम्र 62 वर्ष तक, जो भी पहले हो; विस्तार संभव।

  • इन नियुक्तियों की बारम्बारता सालाना तय नहीं होती; वे केवल खालीपन/अवकास होने पर की जाती हैं।

Important Points – RBI Monetary Policy (परीक्षा-सार)

  • RBI हर दो महीने में Monetary Policy Statement जारी करता है।

  • नीति में Repo, Reverse Repo, MSF, Bank Rate, CRR, SLR, मुद्रास्फीति और GDP का आउटलुक शामिल होता है।

  • प्राथमिक लक्ष्य: CPI = 4% ± 2% (2–6%)

  • MPC के सदस्य कुल 6 हैं: Governor, Deputy Governor (Monetary Policy), एक Executive Director और तीन सरकार द्वारा नियुक्त बाहरी सदस्य।

  • MPC की बैठकें 6 बार प्रति वर्ष होती हैं; हर बैठक 3 दिन तक चलती है।

  • RBI की स्थापना: 1 अप्रैल 1935 (RBI Act, 1934 के तहत)।

  • गवर्नर का टर्म: 3 साल, डिप्टी गवर्नर: 5 साल या 62 वर्ष

  • आगामी नीति पर ध्यान: मुद्रास्फीति नियंत्रण, खाद्य-मूल्य स्थिरीकरण, तरलता व्यवस्था और रुपया-स्थिरता।

5. BrahMos मिसाइल – हालिया सफल परीक्षण और सामरिक महत्व (विस्तृत हिन्दी अनुवाद)

BrahMos सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, जो भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित है, दुनिया की सबसे उन्नत क्रूज़ मिसाइलों में से एक बना हुआ है। 2024–25 में भारतीय नौसेना द्वारा Bay of Bengal में किए गए एक सफल प्रिसिज़न स्ट्राइक टेस्ट ने एक बड़ी उपलब्धि दर्ज करवाई।

यह परीक्षण भारत की सटीक हड़ताल क्षमता, तकनीकी परिपक्वता और इंडो-पासिफिक क्षेत्र में उसका प्रभाव दिखाता है।

हालिया परीक्षण के बारे में (विस्तृत)

  • परीक्षण एक भारतीय नौसेना के फ्रंटलाइन युद्धपोत से किया गया, जिसमें नवीनतम BrahMos Block-III/IV वेरिएंट का उपयोग हुआ।

  • मिसाइल ने एक समुद्री सतह लक्ष्य को सटीकता से निशाना बनाया।

  • मिसाइल ने जटिल प्रक्षेपवक्र अपनाया: उच्च-ऊँचाई चढ़ाई, टर्मिनल-सी-स्किमिंग और चपलता-पूर्ण (evasive) manoeuvres।

  • परीक्षण ने रेंज, सटीकता, गति-स्थिरता और एंटी-जैमिंग क्षमता में सुधार की पुष्टि की।

  • इससे भारतीय नौसैनिक तत्परता और भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में सामरिक बढ़त की पुष्टि हुई।

यह परीक्षण क्यों अहम है?

  1. विस्तारित रेंज (450–500 km):

    • प्रारम्भिक वेरिएंट की सीमा ~290 km थी (MTCR प्रतिबंधों के कारण)।

    • नवीन वेरिएंट 450–500 km तक पहुँच रहे हैं; भविष्य में 800–1000 km तक की क्षमता संभावित है।

  2. उन्नत सीकर सटीकता:

    • DRDO द्वारा विकसित स्थानीय सीकर ने बेहतर लक्ष्य-ट्रैकिंग दिखाई, जामिंग और कम-दृश्यता स्थितियों में भी।

  3. नौसैनिक निरोधक क्षमता में वृद्धि:

    • एंटी-शिप और लैंड-अटैक रोल के लिए उपयुक्त; मालक्का स्ट्रेट, अंडमान सागर और अरब सागर जैसी चोक-पॉइंट्स पर प्रभुत्व बनाए रखने में सहायक।

  4. IOR के लिए अहम:

    • बढ़ती चीनी नौसैनिक गतिविधि के सामरिक जवाब के रूप में कार्य करता है; समुद्री मार्ग सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

  5. निर्यात रणनीति का समर्थन:

    • फिलिपींस के साथ $375 मिलियन का सौदा (2024 में पहली डिलीवरी) — BrahMos अब वैश्विक रक्षा बाजार में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।

    • वियतनाम, इंडोनेशिया, ब्राज़ील जैसे देशों की रुचि भी देखी जा रही है।

2024–25 के नवीनतम विकास

  1. BrahMos-NG (Next Generation) विकास में

    • हल्का और छोटा (1.5 ton से ~1.0 ton)

    • अपेक्षित गति: Mach 3.5

    • इसे Tejas MK2, AMCA, मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर और छोटे जहाजों पर तैनात करने का लक्ष्य है।

  2. एयर-लॉन्च्ड BrahMos की सफलता

    • IAF Su-30MKI से BrahMos के एयर-लॉन्च वेरिएंट के परीक्षण और तैनाती जारी हैं; 2024 में विस्तारित-रेंज एयर-लॉन्च परीक्षण हुए।

  3. स्टील्थ और कम RCS उन्नयन

    • रडार क्रॉस-सेक्शन कम करने के प्रयास ताकि डिटेक्शन मुश्किल हो।

  4. पानडुब्बी वर्टिकल लॉन्च वेरिएंट पर विकास

    • DRDO सबमरीन-लॉन्च वर्जन पर काम कर रहा है — इससे अंडरवाटर स्ट्राइक क्षमता बढ़ेगी।

  5. प्रोपल्शन व ईंधन दक्षता सुधार

    • रैमजेट इंजन और ईंधन-बर्न में सुधार से उच्च-गति और बेहतर रेंज संभव हुई है।

BrahMos – प्रमुख तकनीकी विशेषताएँ

  • गति: Mach 2.8–3.0 (पूरा फ्लाइट-दौरन सुपरसोनीक)।

  • मल्टी-प्लेटफार्म क्षमता: जमीन, समुद्र, हवा, सबमरीन—सभी से लॉन्च।

  • डुअल-गाइडेंस: INS/GPS मध्य-पाठ और टर्मिनल में सक्रिय रडार सीकर।

  • वारहेड: 200–300 kg की प्रिसिजन वारहेड।

  • स्ट्राइक मोड: सी-स्किमिंग, हाई-डाइव, मिश्रित प्रक्षेपवक्र और टर्मिनल-मेन्यूवर मोड।

  • इंटरसेप्शन कठिन: उच्च गति + निम्न-ऊँचाई स्किमिंग + अंतिम चरण में उछल-कूद से पकड़ना चुनौतीपूर्ण।

भारत की निर्यात-गतिविधि

  • Philippines सौदा (2024): पहला निर्यातित BrahMos वेरिएंट; मनीला के तटीय रक्षा आधुनिकीकरण का हिस्सा।

  • अन्य रुचि दर्शाने वाले देश: वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, ब्राज़ील, UAE, साउथ अफ्रीका।

  • इससे भारत के रक्षा-कूटनीति और हथियार निर्यात प्रोफ़ाइल को मजबूती मिलती है।

Important Points – BrahMos Missile (परीक्षा-सार)

  • भारत (DRDO) और रूस (NPOM) का संयुक्त विकास।

  • सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल — गति Mach 2.8–3.0

  • 2024–25 के परीक्षण में Bay of Bengal से नौसेना-युद्धपोत पर सटीक प्रहार सफल।

  • उन्नत रेंज: 450–500 km; भविष्य में 800–1000 km संभावित।

  • DRDO द्वारा विकसित स्थानीय सीकर ने सटीकता में सुधार दिखाया।

  • मल्टी-प्लेटफार्म (लैंड/सी/एयर/सबमरीन) पर तैनाती।

  • BrahMos-NG पर काम; तेज और छोटा वेरिएंट विकास में।

  • IOR में भारत की समुद्री प्रभुता के लिए अहम।

  • फिलिपींस पहला निर्यातक देश; और कई देशों की रूचि।

  • सी-स्किमिंग व टर्मिनल-मेन्यूवर इसे पकड़ना मुश्किल बनाते हैं।

  • यह भारत की रक्षा-आत्मनिर्भरता और हथियार निर्यात क्षमता को बढ़ाता है।

निष्कर्ष (संक्षेप)

भारत जल प्रबंधन, रक्षा आधुनिकीकरण, कृषि बीमा में सुधार और मौद्रिक नीति जैसे क्षेत्रों में तेज़ प्रगति कर रहा है। ये विकास देश को आने वाली चुनौतियों के लिए तकनीकी उन्नयन, वैश्विक सहयोग और स्मार्ट-गवर्नेंस की ओर तैयार कर रहे हैं। NITI Aayog की वैज्ञानिक जल-बजेटिंग से लेकर India–USA Javelin समझौता, PM Fasal Bima Yojana में हुए सुधार और RBI की मौद्रिक नीति तथा BRAHMOS परीक्षण — हर एक पहल भारत की दीर्घकालिक मजबूती में योगदान दे रही है।

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