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लेबर लॉ / Labour Law 2025: भारत के श्रम सुधार
भारत में लेबर लॉ (Labour Law) 2025 श्रम सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका मुख्य उद्देश्य देश के जटिल और बिखरे हुए श्रम कानूनों को सरल बनाना और उन्हें चार व्यापक श्रम संहिताओं (Labour Codes) में समाहित करना है। ये संहिताएँ हैं: मज़दूरी पर संहिता (Code on Wages), औद्योगिक संबंध संहिता (Code on Industrial Relations), सामाजिक सुरक्षा संहिता (Code on Social Security), और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता (Code on Occupational Safety, Health and Working Conditions)।
मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य:
सरलीकरण: 29 केंद्रीय श्रम कानूनों को चार संहिताओं में समेटकर अनुपालन (compliance) को आसान बनाना।
सामाजिक सुरक्षा का विस्तार: असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) के श्रमिकों, गिग वर्कर्स (Gig Workers) और प्लेटफॉर्म वर्कर्स (Platform Workers) को पहली बार सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाना।
ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business): श्रम कानूनों के सरलीकरण से व्यवसायों के लिए नियमों का पालन करना आसान होगा, जिससे निवेश और रोज़गार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।
पारदर्शिता और डिजिटलीकरण: कानून को लागू करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और अधिकांश अनुपालन प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर स्थानांतरित करना।
कामकाजी माहौल में सुधार: कामकाजी घंटों, छुट्टियों और महिला श्रमिकों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधानों को आधुनिक बनाना।
महिला श्रमिकों के लिए प्रावधान:
महिला कर्मचारियों को उनकी सहमति से रात्रि पाली (Night Shifts) में काम करने की अनुमति देना।
संस्थानों को महिला कर्मचारियों की सुरक्षा, पर्याप्त परिवहन सुविधाएँ और अन्य आवश्यक सुविधाएँ सुनिश्चित करनी होंगी।
कानून लिंग के आधार पर भेदभाव को रोकता है और महिलाओं को पुरुषों के समान ही सभी व्यवसायों में काम करने की अनुमति देता है।
यह सुधार श्रमिकों के हितों की सुरक्षा और देश की आर्थिक प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के बीच संतुलन साधने का प्रयास है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):
चार संहिताएँ: मज़दूरी, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, और व्यावसायिक सुरक्षा पर संहिताएँ।
लक्ष्य समूह: असंगठित, गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कवर करना।
लाभ: निवेश को बढ़ावा देना और श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
इथियोपिया का हैली गुआबी ज्वालामुखी (Hale Gobi Volcano, Ethiopia)
हैली गुआबी (Hale Gobi) ज्वालामुखी इथियोपिया में स्थित एक सक्रिय और महत्वपूर्ण भौगोलिक संरचना है। यह ज्वालामुखी अफार त्रिकोण (Afar Triangle) क्षेत्र में स्थित है, जो तीन टेक्टोनिक प्लेटों—न्यूबियन (Nubian), सोमाली (Somali) और अरेबियन (Arabian)—के मिलने का बिंदु है। यह क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे अधिक विवर्तनिक (tectonic) रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से एक है।
महत्वपूर्ण जानकारी:
स्थान: हैली गुआबी इथियोपिया के अफार क्षेत्र के भीतर ग्रेट रिफ्ट वैली (Great Rift Valley) में स्थित है।
भूगर्भिक महत्व: यह क्षेत्र बताता है कि कैसे अफ्रीकी महाद्वीप धीरे-धीरे दो हिस्सों में विभाजित हो रहा है (प्लेट टेक्टोनिक्स)। इस ज्वालामुखी के पास होने वाली गतिविधि इस विखंडन प्रक्रिया का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
हालिया गतिविधि: ज्वालामुखी के आस-पास की हालिया गतिविधि, जैसे भूकंप के झटके और जमीन के विरूपण (ground deformation), भूवैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। इसकी निगरानी, क्षेत्र की टेक्टोनिक गतिविधियों को समझने और संभावित विस्फोटों के लिए प्रारंभिक चेतावनी देने के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस ज्वालामुखी का अध्ययन पृथ्वी के आंतरिक भाग और महाद्वीपों के निर्माण की प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):
स्थान: इथियोपिया का अफार क्षेत्र (ग्रेट रिफ्ट वैली)।
भौगोलिक महत्व: तीन टेक्टोनिक प्लेटों (न्यूबियन, सोमाली, अरेबियन) का जंक्शन बिंदु।
वर्तमान स्थिति: सक्रिय और निरंतर निगरानी में।
रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट (Rare-Earth Permanent Magnet) (26 नवंबर 2025)
रेयर-अर्थ परमानेंट मैग्नेट (दुर्लभ-मृदा स्थायी चुंबक) आधुनिक तकनीक की रीढ़ हैं। ये ऐसे शक्तिशाली चुंबक होते हैं जिनमें दुर्लभ-मृदा तत्वों (Rare-Earth Elements – REEs) जैसे नियोडिमियम (Neodymium), समेरियम (Samarium) और डिस्प्रोसियम (Dysprosium) का उपयोग किया जाता है। ये तत्व इन मैग्नेट को अत्यंत उच्च चुंबकीय शक्ति प्रदान करते हैं, जो उनके छोटे आकार के बावजूद उन्हें प्रभावी बनाते हैं।
26 नवंबर 2025 की तिथि इस संदर्भ में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह किसी नई खोज, नीतिगत घोषणा (जैसे भारत में दुर्लभ-मृदा तत्वों के खनन या प्रसंस्करण पर नई नीति), या इन मैग्नेट के उत्पादन से संबंधित किसी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समझौते की तारीख हो सकती है।
उपयोगिता और रणनीतिक महत्व:
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs): EV मोटरों में इनका उपयोग कुशल और हल्की मोटर बनाने के लिए किया जाता है।
पवन टर्बाइन: नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के लिए टर्बाइनों में इनका उपयोग होता है।
इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, हार्ड ड्राइव और हेडफ़ोन जैसे छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में।
रक्षा अनुप्रयोग: मिसाइल गाइडेंस सिस्टम और रडार में इनका इस्तेमाल रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
इन मैग्नेट के उत्पादन पर कुछ ही देशों का प्रभुत्व है, इसलिए आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाना और आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत सहित कई देशों के लिए एक रणनीतिक आवश्यकता बन गई है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):
मुख्य तत्व: नियोडिमियम, समेरियम, डिस्प्रोसियम जैसे दुर्लभ-मृदा तत्व।
उपयोग: EV, पवन ऊर्जा, स्मार्टफोन, रक्षा उपकरण।
रणनीतिक आवश्यकता: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर निर्भरता कम करना और आत्मनिर्भरता बढ़ाना
अयोध्या राम मंदिर पर “धर्म ध्वज”
अयोध्या राम मंदिर का निर्माण और उद्घाटन भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में एक ऐतिहासिक घटना है। इस संदर्भ में “धर्म ध्वज” एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।
विवरण और महत्व:
प्रतीकात्मकता: “धर्म ध्वज” केवल एक झंडा नहीं है; यह सनातन धर्म की संप्रभुता, आस्था और सिद्धांतों का प्रतीक है। इसका लहराना हिंदू धर्म के मूल्यों की विजय और पुनर्स्थापना को दर्शाता है।
स्थापन: यह ध्वज आमतौर पर मंदिर के सबसे ऊंचे शिखर या गुंबद पर स्थापित किया जाता है। इसका विशिष्ट रंग (अक्सर केसरिया/भगवा) और उस पर बने धार्मिक चिह्न (जैसे ‘ओम्’ या ‘राम’) इसे विशेष धार्मिक महत्व देते हैं।
सामाजिक प्रभाव: राम मंदिर में “धर्म ध्वज” की स्थापना करोड़ों भक्तों के लिए सदियों पुराने संघर्ष की समाप्ति और धार्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह अयोध्या को एक प्रमुख वैश्विक तीर्थ स्थल के रूप में स्थापित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अनुष्ठान: ध्वज की स्थापना से जुड़े अनुष्ठान अत्यंत पवित्र माने जाते हैं और इन्हें मंदिर के मुख्य पुजारियों द्वारा विशेष मुहूर्त पर संपन्न किया जाता है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):
स्थान: राम मंदिर का सबसे ऊँचा शिखर।
रंग/चिह्न: आमतौर पर केसरिया (भगवा); ‘ओम्’ या ‘राम’ का चिह्न।
अर्थ: धार्मिक संप्रभुता और आस्था की विजय का प्रतीक।
IBSA (इब्सा) – भारत / ब्राजील / दक्षिण अफ्रीका
IBSA (इंडिया, ब्राजील, साउथ अफ्रीका) एक त्रि-महाद्वीपीय, त्रिपक्षीय विकासात्मक पहल है जो तीन बड़े लोकतंत्रों और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाती है।
I. क्यों और कब बना?
गठन: IBSA डायलॉग फोरम की स्थापना 6 जून 2003 को ब्रासीलिया (ब्राजील) में आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठक में की गई थी।
निर्माण का कारण: इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South-South Cooperation) को मजबूत करना था। ये तीनों देश वैश्विक मंचों पर विकासशील देशों के हितों का प्रतिनिधित्व करने और उनकी आवाज़ को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एकजुट हुए। इसके अलावा, ये देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधारों और अधिक समावेशी वैश्विक शासन की मांग साझा करते हैं।
II. क्या उद्देश्य?
IBSA का उद्देश्य तीन स्तंभों पर आधारित है:
1. राजनीतिक समन्वय (Political Coordination): वैश्विक और क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर आम सहमति बनाना और साझा दृष्टिकोण प्रस्तुत करना।
2. क्षेत्रीय सहयोग (Sectoral Cooperation): व्यापार, कृषि, संस्कृति, रक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
3. IBSA फंड फॉर पॉवर्टी एंड हंगर एलिविएशन (गरीबी और भूख उन्मूलन के लिए IBSA कोष): यह एक अनूठी पहल है जिसके तहत तीनों देश अन्य विकासशील देशों (विशेषकर लीस्ट डेवलप्ड कंट्रीज़ – LDCs) में गरीबी उन्मूलन और विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करते हैं। यह सहयोग का एक प्रमुख मॉडल है।
IBSA स्वयं को G20, ब्रिक्स (BRICS) और संयुक्त राष्ट्र (UN) जैसे बहुपक्षीय मंचों पर एक पुल-निर्माण करने वाले समूह (Bridge-Building Group) के रूप में देखता है, जो विकसित और विकासशील दुनिया के बीच की खाई को पाटने का प्रयास करता है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points):
गठन तिथि: 6 जून 2003 (ब्रासीलिया)।
सदस्य: भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका।
मुख्य दर्शन: दक्षिण-दक्षिण सहयोग और वैश्विक शासन सुधारों पर बल देना।
निष्कर्ष (Conclusion)
जैसा कि हमने देखा, नवंबर 2025 का महीना कई महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों का गवाह रहा। लेबर लॉ 2025 के तहत 29 कानूनों को सरल बनाना और गिग वर्कर्स तथा महिला श्रमिकों को रात्रि पाली में काम की अनुमति देना, भारत की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को दर्शाता है।
वहीं, रेयर-अर्थ मैग्नेट पर बढ़ती वैश्विक निर्भरता और IBSA जैसे मंचों पर दक्षिण-दक्षिण सहयोग की मज़बूती, यह साबित करती है कि भू-राजनीति अब तकनीक और गठबंधन पर केंद्रित है। सांस्कृतिक मोर्चे पर, अयोध्या राम मंदिर पर धर्म ध्वज की स्थापना करोड़ों लोगों की आस्था को नई दिशा देती है, जबकि इथियोपिया के हैली गुआबी ज्वालामुखी की गतिविधियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि प्रकृति की विवर्तनिक शक्ति अभी भी सक्रिय है।
ये सभी घटनाएँ मिलकर एक गतिशील और परस्पर जुड़ी हुई दुनिया की तस्वीर पेश करती हैं। सही जानकारी और जागरूकता ही हमें इन बदलावों के साथ तालमेल बिठाने और भविष्य के लिए बेहतर नीतियाँ बनाने में मदद करेगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
| प्रश्न (Question) | संबंधित विषय | उत्तर (Answer) |
| Q: श्रम संहिताएँ कब लागू होंगी? | लेबर लॉ | A: 2025 में इनके लागू होने की उम्मीद है। |
| Q: महिलाएँ अब रात्रि पाली में काम कर सकती हैं? | लेबर लॉ | A: हाँ, नए कानून के तहत उनकी सहमति और पर्याप्त सुरक्षा सुविधाओं की उपलब्धता पर उन्हें अनुमति है। |
| Q: अफार त्रिकोण क्यों महत्वपूर्ण है? | हैली गुआबी | A: यह पृथ्वी पर वह स्थान है जहाँ तीन टेक्टोनिक प्लेटें एक दूसरे से दूर जा रही हैं (महाद्वीप का विखंडन)। |
| Q: दुर्लभ-मृदा तत्व दुर्लभ क्यों हैं? | रेयर-अर्थ मैग्नेट | A: उन्हें आर्थिक रूप से व्यवहार्य तरीके से शुद्ध रूप में निकालना और संसाधित करना मुश्किल होता है। |
| Q: IBSA और BRICS में क्या मुख्य अंतर है? | IBSA | A: IBSA विशेष रूप से तीन लोकतांत्रिक और बहुसांस्कृतिक देशों पर केंद्रित है, जबकि BRICS एक व्यापक समूह है। |
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