हर वर्ष अक्टूबर की शुरुआत में, दुनिया बेसब्री से नोबेल पुरस्कारों की घोषणा का इंतज़ार करती है—जो विज्ञान, साहित्य और शांति में मानवता के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों का सम्मान करते हैं।
2025 में, इन पुरस्कारों ने एक बार फिर ऐसे क्रांतिकारी शोध और विचारों पर रोशनी डाली जो हमारे भविष्य को दिशा दे रहे हैं।
यहाँ अब तक घोषित Nobel Prize 2025 का संपूर्ण विवरण है—मेडिसिन से लेकर फिज़िक्स और केमिस्ट्री तक—साथ ही विजेताओं की प्रेरक कहानियाँ।
6 अक्टूबर 2025 – फिज़ियोलॉजी या मेडिसिन में Nobel Prize 2025
विजेता और उनकी खोज
- मैरी ई. ब्रंकॉ (इंस्टिट्यूट फ़ॉर सिस्टम्स बायोलॉजी, सिएटल, USA)
इन्होंने अपने सह-पुरस्कार विजेताओं के साथ मिलकर बताया कि रेगुलेटरी टी-सेल्स (Tregs) किस तरह प्रतिरक्षा संतुलन बनाए रखते हैं—ताकि इम्यून सिस्टम हमारे ही स्वस्थ ऊतकों पर हमला न कर दे।
फ्रेड रैम्सडेल (सोनोमा बायोथेरैप्यूटिक्स, सैन फ़्रांसिस्को, USA)
इन्होंने FOXP3 नामक जीन की पहचान में योगदान दिया जो Treg के विकास में शामिल है। इस जीन में बदलाव (म्यूटेशन) गंभीर ऑटोइम्यून विकार पैदा कर सकते हैं।
शिमोन सकागुची (ओसाका विश्वविद्यालय, जापान)
इन्होंने अग्रणी रूप से दिखाया कि इम्यून टॉलरेंस केवल केंद्रीय (थाइमस) स्तर पर ही नहीं, बल्कि परिधीय स्तर पर भी नियंत्रित होती है—यानी “शरीर के ऊतकों में प्रतिरक्षा-सहिष्णुता” की अवधारणा पेश की।
- उद्धरण (प्राइज़ मोटिवेशन)
उन्हें “परिधीय प्रतिरक्षा सहिष्णुता” से संबंधित खोजों के लिए सम्मानित किया गया—यानी इम्यून सिस्टम किस तरह विनियमित होता है ताकि वह शरीर के अपने ऊतकों को नुकसान न पहुँचाए।
क्यों महत्वपूर्ण है
यह समझाता है कि ऑटोइम्यून बीमारियाँ (जब शरीर खुद पर हमला करता है) क्यों होती हैं।
कैंसर, ऑटोइम्यूनिटी और बेहतर अंग-प्रत्यारोपण जैसी थेरेपी के नए मार्ग खुलते हैं।
“परिधीय टॉलरेंस” की अवधारणा, थाइमस में होने वाली केंद्रीय “ट्रेनिंग” से आगे इम्यून नियमन की हमारी समझ का विस्तार करती है।
7 अक्टूबर 2025 — भौतिकी में Nobel Prize 2025
विजेता और उनकी खोज
- जॉन क्लार्क (यूनीवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले, USA)
इन्होंने ऐसे प्रयोग किए जो मैक्रोस्कोपिक स्तर पर विद्युत परिपथों में क्वांटम यांत्रिक टनलिंग और ऊर्जा-परिमाणीकरण दिखाते हैं।
- मिशेल एच. देवोरे (येल विश्वविद्यालय व UC सैंटा बारबरा, USA)
इन्होंने ऐसे परिपथ सह-विकसित किए जो हाथ में पकड़े जा सकने वाले पैमाने पर क्वांटम प्रभाव दिखाते हैं—सूक्ष्म क्वांटम घटनाओं और बड़े प्रणालियों के बीच पुल बनाया।
जॉन एम. मार्टिनिस (यूनीवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, सैंटा बारबरा, USA)
क्लार्क और देवोरे के साथ मिलकर परिपथों में क्वांटाइज़ेशन और टनलिंग दर्शाने वाली रूपरेखाएँ और प्रयोग विकसित किए।
उद्धरण (प्राइज़ मोटिवेशन)
उन्हें “एक विद्युत परिपथ में मैक्रोस्कोपिक क्वांटम यांत्रिक टनलिंग और ऊर्जा परिमाणीकरण की खोज” के लिए सम्मानित किया गया।
क्यों महत्वपूर्ण है
यह बड़े प्रश्न का उत्तर देता है: कोई प्रणाली कितनी बड़ी हो सकती है और फिर भी क्वांटम आचरण दिखा सकती है?
इनके सुपरकंडक्टिंग परिपथों ने क्वांटाइज़्ड ऊर्जा-स्तरों का प्रदर्शन किया, जिससे क्वांटम भौतिकी अधिक व्यावहारिक प्रणालियों से जुड़ी।
यह कार्य क्वांटम कम्प्यूटिंग, क्वांटम सेंसर और क्वांटम टेक्नोलॉजी की नींव है।
8 अक्टूबर 2025 — रसायन विज्ञान में Nobel Prize 2025
विजेता और उनकी उपलब्धि
- सुसुमु कितगावा (क्योतो विश्वविद्यालय, जापान)
इन्होंने दिखाया कि मेटल–ऑर्गेनिक फ़्रेमवर्क्स (MOFs) स्थिर हो सकते हैं, जिनमें गैसें अंदर-बाहर जा सकती हैं, और इन सामग्रियों को लचीला बनाकर अलग-अलग कार्यों के अनुसार ढाला जा सकता है।
जन्म: 4 जुलाई 1951
रिचर्ड रॉब्सन (यूनीवर्सिटी ऑफ़ मेलबर्न, ऑस्ट्रेलिया / मूलतः UK)
इन्होंने धातु आयनों को ऑर्गेनिक लिंकर्स से जोड़ते हुए—आंतरिक छिद्रयुक्त फ़्रेमवर्क्स—का अग्रणी विचार प्रस्तुत किया, यद्यपि शुरुआती रूप अस्थिर थे।
जन्म: 4 जून 1937
ओमर एम. यागी (यूनीवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया, बर्कले, USA)
इन्होंने MOF डिज़ाइन को परिष्कृत व विस्तारित किया—रिटीकुलर केमिस्ट्री के “मॉड्यूलर बिल्डिंग ब्लॉक्स” की तरह। इनके काम ने MOFs को व्यावहारिक और मज़बूत बनाया।
जन्म: 9 फ़रवरी 1965
उद्धरण (प्राइज़ मोटिवेशन)
उन्हें “मेटल–ऑर्गेनिक फ़्रेमवर्क्स के विकास” के लिए रसायन विज्ञान का Nobel Prize 2025 दिया गया।
आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति से:
“उन्होंने ऐसे आणविक ढाँचे बनाए जिनमें बड़े रिक्त स्थान हैं, जिनसे होकर गैसें और अन्य रसायन प्रवाहित हो सकते हैं। ये ढाँचे—मेटल–ऑर्गेनिक फ़्रेमवर्क्स—रेगिस्तानी हवा से पानी प्राप्त करने, कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ने, विषैली गैसों का भंडारण करने या रासायनिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित करने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।”
पुरस्कार समान रूप से बाँटा गया है: प्रत्येक को एक-तिहाई भाग।
क्यों महत्वपूर्ण है
कस्टम छिद्रयुक्त पदार्थ: धातु आयन (नोड) और ऑर्गेनिक अणु (लिंकर) जोड़कर ऐसे क्रिस्टलीय पदार्थ बने जिनके अंदर “कमरे”/रिक्त स्थान हैं, जहाँ अणु आ-जा सकते हैं।
वैश्विक चुनौतियों के समाधान:
शुष्क जलवायु में भी हवा से पानी निकालना
CO₂ कैप्चर (जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु)
गैसों/विषैले रसायनों का भंडारण
उत्प्रेरण / उन्नत सामग्रियों में परिचालनक्षमता (कंडक्टिविटी)
9 अक्टूबर 2025 — साहित्य में नोबेल पुरस्कार
विजेता और उन्हें क्यों सम्मानित किया गया
- लास्ज़लो क्रास्नाहोर्काई (हंगरी)
उन्हें “उनके प्रभावशाली और दूरदर्शी कृतित्व के लिए, जो प्रलयंकर भय के बीच कला की शक्ति की पुनर्पुष्टि करता है।” इस योगदान हेतु सम्मानित किया गया।
लास्ज़लो क्रास्नाहोर्काई के बारे में
शैली: दार्शनिक उपन्यासों के लिए प्रसिद्ध; लंबे, जटिल वाक्य; उदासी, चिंतन और मानवीय नाज़ुकता के विषयों की खोज।
प्रमुख कृतियाँ: सातांतांगो (1985), द मेलान्कॉली ऑफ़ रेसिस्टेंस (1989), वार एंड वार (1999)। इनकी कई रचनाओं पर हंगेरियन फ़िल्ममेकर बेला टार ने फ़िल्में बनाईं।
अन्य सम्मान: 2015 में संपूर्ण कृतित्व के लिए मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार।
क्रास्नाहोर्काई की गहन, दार्शनिक गद्य शैली अक्सर निराशा, अस्तित्वगत तनाव और मानवीय नाज़ुकता जैसे विषयों का अन्वेषण करती है।
क्यों महत्वपूर्ण है
उनका काम रूप और आवाज़ की सीमाएँ आगे बढ़ाता है—अलौकिकता को गहरे भावात्मक प्रतिध्वनि से जोड़ता है।
पुरस्कार दिखाता है कि साहित्य एक साथ संकट, अराजकता और आशा को आवाज़ दे सकता है।
यह रेखांकित करता है कि कला अँधेरे का सामना करते हुए भी मानवीय दशा को आलोकित कर सकती है।
10 अक्टूबर 2025 — नोबेल शांति पुरस्कार
विजेता और उन्हें क्यों सम्मानित किया गया
- मारिया कोरीना माचाडो (वेनेज़ुएला)
उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों, मुक्त व निष्पक्ष चुनावों और अधिनायकवादी शासन से शांतिपूर्ण संक्रमण के लिए उनके अथक प्रयासों हेतु सम्मानित किया गया।
क्यों महत्वपूर्ण है
उनका सक्रिय नेतृत्व नाज़ुक लोकतंत्रों में राजनीतिक नेतृत्व की अहम भूमिका को रेखांकित करता है।
यह पुरस्कार मानवाधिकार, नागरिक स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण असहमति पर वैश्विक ध्यान का सशक्त संदेश देता है।
दबाव में नेतृत्व को पहचानते हुए, यह पुरुस्कार धैर्य और नैतिक साहस का उत्सव है।
13 अक्टूबर 2025 — आर्थिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार
विजेता और उन्हें क्या दिया गया
- जोएल मोकियर — “प्रौद्योगिकीय प्रगति के माध्यम से सतत विकास की पूर्वापेक्षाएँ पहचानने” के लिए सम्मानित।
- फ़िलिप ऐजिऑन और पीटर हॉइट — “क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन के माध्यम से सतत विकास के सिद्धांत” के लिए सम्मानित।
पुरस्कार विभाजन: 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोना—आधा मोकियर को; आधा संयुक्त रूप से ऐजिऑन और हॉइट को।
क्यों महत्वपूर्ण है
दिखाता है कि नवोन्मेष और प्रतिस्पर्धा दीर्घावधि विकास और जीवन-स्तर में सुधार को कैसे संचालित करते हैं—टेक/विज्ञान-नेतृत्व वाली समृद्धि का ढाँचा।
नीतिगत मार्गदर्शन देता है: R&D, खुलेपन और प्रतिस्पर्धा का समर्थन करें ताकि “क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन” स्वस्थ रहे और ठहराव न आए—आज की AI-परिवर्तित दुनिया में बेहद प्रासंगिक।
(कठोर मॉडलों और इतिहास के साथ) पुष्टि करता है कि विकास स्वतः नहीं होता; संस्थान और प्रोत्साहन तय करते हैं कि नए विचार अर्थव्यवस्था में कितनी दूर तक फैलते हैं।
भारत से सभी नोबेल पुरस्कार विजेता (1913–2024)
Year | Name | Category | Contribution / Reason for Award |
---|---|---|---|
1913 | Rabindranath Tagore | Literature | For his profoundly sensitive, fresh, and beautiful poetry in Gitanjali (Song Offerings), making him the first Asian Nobel Laureate. |
1930 | C. V. Raman | Physics | For the discovery of the Raman Effect — scattering of light leading to a change in wavelength. |
1968 | Har Gobind Khorana | Physiology or Medicine | For interpretation of the genetic code and its function in protein synthesis. |
1979 | Mother Teresa | Peace | For her humanitarian work in aiding suffering humanity through the Missionaries of Charity. |
1983 | Subrahmanyan Chandrasekhar | Physics | For theoretical studies on the physical processes important in the structure and evolution of stars. |
1998 | Amartya Sen | Economic Sciences | For his contributions to welfare economics and studies on poverty and famine. |
2009 | Venkatraman Ramakrishnan | Chemistry | For studies on the structure and function of the ribosome. |
2014 | Kailash Satyarthi | Peace | For his struggle against child labour and advocacy for children’s rights to education and freedom. |
2019 | Abhijit Banerjee | Economic Sciences | For experimental approach to alleviating global poverty through development economics. |
पुरस्कार और समारोह
हर नोबेल विजेता को मिलता है:
1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोना (लगभग USD 1.2 मिलियन)
24-कैरट सोने का मेडल
सुरुचिपूर्ण, हस्त-चित्रित नोबेल डिप्लोमा
पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर 2025 को स्टॉकहोम और ओस्लो में होगा—अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि के अवसर पर।
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मुख्य बातें
Nobel Prize 2025 की घोषणाएँ ऐसे क्रांतिकारी खोजों को सामने लाती हैं जो चिकित्सा, तकनीक और पर्यावरण समाधान को कई क्षेत्रों में बदल सकती हैं।
मेडिकल ब्रेकथ्रू: तीन वैज्ञानिकों को परिधीय प्रतिरक्षा-सहिष्णुता की खोज के लिए सम्मान—जो ऑटोइम्यून रोगों और कैंसर उपचारों में क्रांति ला सकता है।
क्वांटम कम्प्यूटिंग की नींव: भौतिकी विजेताओं ने मैक्रोस्कोपिक परिपथों में क्वांटम टनलिंग दर्शाई—अगली पीढ़ी के क्वांटम कंप्यूटरों की आधारशिला।
पर्यावरणीय समाधान: रसायन विज्ञान के विजेताओं ने ऐसे MOFs विकसित किए जो CO₂ पकड़ सकते हैं, रेगिस्तानी हवा से पानी निकाल सकते हैं और प्रदूषकों को फ़िल्टर कर सकते हैं।
वैश्विक प्रभाव: ये खोजें मानवता की सबसे बड़ी चुनौतियों—लाखों को प्रभावित करने वाली ऑटोइम्यून बीमारियों से लेकर जलवायु परिवर्तन और जल-संकट—तक को संबोधित करती हैं।
रिसर्च में तेजी: नोबेल मान्यता अक्सर विजेताओं के शोध-क्षेत्र में फंडिंग व आउटपुट को तेज कर देती है।
शेष घोषणाएँ—साहित्य, शांति और आर्थिक विज्ञान—इस वर्ष की मानवीय उपलब्धि के उत्सव को पूर्ण करती हैं; हर पुरस्कार सार्वजनिक विमर्श और शोध प्राथमिकताओं को नया आकार देने की क्षमता रखता है।
FAQs
प्र.1. 2025 के रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार विजेता कौन हैं?
सुसुमु कितगावा, रिचर्ड रॉब्सन और ओमर यागी—मेटल–ऑर्गेनिक फ़्रेमवर्क्स (MOFs) पर उनके क्रांतिकारी कार्य के लिए। इनके अनुप्रयोग—कार्बन कैप्चर, रेगिस्तानी हवा से पानी हासिल करना, प्रदूषक फ़िल्टरिंग—आदि शामिल हैं।
प्र.2. 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार कब घोषित हुआ?
शुक्रवार, 10 अक्टूबर को 11:00 CEST (5:00 am ET) पर ओस्लो में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी ने घोषणा की। औपचारिक पुरस्कार समारोह 10 दिसंबर को ओस्लो, नॉर्वे में होगा।
प्र.3. 2025 के नोबेल विजेताओं को उनकी जीत की सूचना कैसे मिलती है?
आम तौर पर सार्वजनिक घोषणा से कुछ मिनट पहले फ़ोन कॉल आता है—अक्सर अप्रत्याशित समय/स्थान पर—जिसमें बताया जाता है कि उन्हें पुरस्कार मिला है।
प्र.4. नोबेल पुरस्कार जीतने से किसी वैज्ञानिक के करियर पर क्या असर होता है?
यह करियर को बदल देता है—शोध से पता चलता है कि विजेताओं के “हिट पेपर” अनुपात अत्यधिक बढ़ जाते हैं; हालाँकि पुरस्कार के तुरंत बाद अस्थायी रूप से उत्पादकता में गिरावट भी देखी जा सकती है।
प्र.5. 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कितने नामांकन थे?
338 उम्मीदवार—244 व्यक्ति और 94 संस्थाएँ। यह पिछले वर्ष के 286 नामांकनों से बढ़ोतरी दर्शाता है, जो वैश्विक शांति पहलों पर बढ़ते ध्यान को दिखाता है।