1. परिचय
पृथ्वी कई सुरक्षात्मक वायुमंडलीय परतों से घिरी हुई है जो जीवन को संभव बनाती हैं। इनमें से ओज़ोन परत जीवन के सभी रूपों को सूर्य से आने वाली तीव्र पराबैंगनी (UV) विकिरणों से बचाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि यह परत न हो, तो हानिकारक UV किरणें पृथ्वी की सतह पर पहुँचकर मनुष्यों, जानवरों, पौधों और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर क्षति पहुँचा सकती हैं।
पिछली एक शताब्दी में उद्योगों और विभिन्न मानव गतिविधियों द्वारा वातावरण में ऐसे रसायनों का उत्सर्जन हुआ, जो ओज़ोन परत को सीधे नुकसान पहुँचाते हैं। इस प्रक्रिया को ओज़ोन क्षय (Ozone Depletion) कहा जाता है। वैज्ञानिक, सरकारें और पर्यावरण संगठन मिलकर इस नुकसान को कम करने और पृथ्वी के भविष्य की रक्षा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से काफी प्रगति हुई है, लेकिन स्थायी सुरक्षा के लिए निरंतर जागरूकता और कार्यवाही जरूरी है। यह लेख ओज़ोन परत, उसके कार्य, महत्व, स्थान, क्षय के कारण, हानिकारक प्रभाव, वैश्विक प्रयासों, भविष्य की संभावनाओं और व्यक्तियों की भूमिका का विस्तृत तथा शोध-आधारित विवरण प्रस्तुत करता है।
2. ओज़ोन परत क्या है?
ओज़ोन परत पृथ्वी के समतापमंडल (Stratosphere) में स्थित एक क्षेत्र है जहाँ वायुमंडल के अन्य भागों की तुलना में ओज़ोन गैस (O₃) की अधिक सांद्रता पाई जाती है। ओज़ोन ऑक्सीजन का एक रूप है जो तीन ऑक्सीजन परमाणुओं से मिलकर बना होता है।
जहाँ सामान्य ऑक्सीजन (O₂) सांस लेने और दहन के लिए आवश्यक है, वहीं ओज़ोन (O₃) एक प्राकृतिक सुरक्षा कवच की तरह काम करता है। यह सूर्य से आने वाली लगभग 97–99% हानिकारक पराबैंगनी किरणों (UV-B, UV-C) को अवशोषित कर लेता है। यही कारण है कि पृथ्वी पर जटिल और विकसित जीवन संभव हो पाया है।
3. ओज़ोन परत कैसे काम करती है?
ओज़ोन परत एक प्रकाश-रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से कार्य करती है। जब सूर्य के पराबैंगनी किरणें समतापमंडल में पहुँचती हैं, तो:
UV-C किरणें ऑक्सीजन के अणु (O₂) को तोड़कर एकल परमाणु (O) में बदल देती हैं।
यह एकल ऑक्सीजन परमाणु अन्य O₂ अणु से मिलकर O₃ (ओज़ोन) बनाता है।
ओज़ोन UV किरणों को अवशोषित कर पुनः O₂ और O में टूट जाता है।
यह चक्र लगातार चलता रहता है।
इसी संतुलन को ओज़ोन-ऑक्सीजन चक्र (Ozone-Oxygen Cycle) कहा जाता है।
जब मानव-निर्मित रसायन वातावरण में पहुँचते हैं, तो वे इस संतुलन को बिगाड़ देते हैं जिससे ओज़ोन क्षय होता है।
4. ओज़ोन परत कहाँ स्थित है?
ओज़ोन परत समतापमंडल में पाई जाती है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 10–50 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसका सर्वाधिक घनत्व 20–30 किलोमीटर ऊँचाई के बीच पाया जाता है।
वायुमंडल की परतें नीचे से ऊपर:
क्षोभमंडल (0–10 किमी): जहां हम रहते हैं और मौसम घटित होता है
समतापमंडल (10–50 किमी): ओज़ोन परत यहीं है
मध्यमंडल
तापमंडल
बहिर्मंडल
समतापमंडल में सूर्य प्रकाश, ऑक्सीजन और कम वायु घनत्व ओज़ोन के निर्माण के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं।
5. ओज़ोन परत का निर्माण कैसे होता है?
यह प्रक्रिया चैपमैन चक्र (Chapman Cycle) के नाम से जानी जाती है:
UV-C किरणें ऑक्सीजन (O₂) को तोड़कर O + O बनाती हैं
एकल ऑक्सीजन O₂ से मिलकर ओज़ोन (O₃) बनाता है
UV किरणें O₃ को पुनः O₂ और O में तोड़ देती हैं
यह चक्र निरंतर चलता रहता है
लेकिन मानव गतिविधियों से उत्पन्न रसायन इस चक्र को असंतुलित कर देते हैं।
6. ओज़ोन परत को नुकसान क्यों हो रहा है?
ओज़ोन परत को क्षति पहुँचाने का मुख्य कारण है — ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थ (Ozone Depleting Substances – ODS)।
ये रसायन समतापमंडल तक पहुँचते ही सूर्य की UV किरणों से टूटकर क्लोरीन (Cl) और ब्रोमीन (Br) परमाणु छोड़ते हैं जो ओज़ोन को नष्ट कर देते हैं।
केवल 1 क्लोरीन परमाणु 1,00,000 से अधिक ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर सकता है।
मुख्य स्रोत:
• पुराने रेफ्रिजरेटर और एसी में उपयोग होने वाले CFC
• एरोसोल स्प्रेज़
• औद्योगिक विलायक
• अग्निशमन यंत्रों में हैलॉन
• रासायनिक कारखाने
• कृषि में उपयोग होने वाले रसायन
ये रसायन वातावरण में दशकों तक टिके रहते हैं, इसलिए नुकसान धीरे-धीरे भी होता रहे तो गंभीर हो सकता है।
7. ओज़ोन होल क्या है?
ओज़ोन होल पृथ्वी के वातावरण में वह क्षेत्र है जहाँ ओज़ोन की मात्रा अत्यधिक घट जाती है। इसका अर्थ यह नहीं कि वहाँ पूरी तरह छेद है, बल्कि ओज़ोन का घनत्व खतरनाक रूप से कम हो जाता है।
यह घटना सबसे पहले 1980 के दशक में अंटार्कटिका के ऊपर देखी गई। वैज्ञानिकों ने उपग्रहों और ज़मीनी अवलोकनों के माध्यम से पाया कि वहाँ ओज़ोन तेजी से खत्म हो रहा है।
सालाना रूप से यह पतलापन सितंबर–नवंबर में सबसे अधिक होता है।
8. अंटार्कटिका के ऊपर ही ओज़ोन होल क्यों?
कारण:
• अत्यधिक ठंडे तापमान
• ध्रुवीय समतापमंडलीय बादलों (PSCs) का निर्माण
• वायुमंडलीय प्रवाह का फँस जाना (Polar Vortex)
• बसंत में सूर्य प्रकाश लौटने पर रासायनिक प्रतिक्रियाएँ तेजी से होना
इन सभी कारणों से ओज़ोन का विनाश अत्यधिक तेजी से होता है।
9. ओज़ोन क्षय के लिए जिम्मेदार रसायन
मुख्य ओज़ोन क्षयकारी रसायन:
• CFCs – रेफ्रिजरेशन और एसी
• HCFCs – कम हानिकारक पर अभी भी नुकसानदायक
• Halons – अग्निशमन प्रणाली
• Carbon Tetrachloride
• Methyl Chloroform
• Methyl Bromide – कृषि रसायन
• Nitrous Oxide (N₂O) – आज सबसे बड़ा योगदानकर्ता
इनकी उम्र बहुत लंबी होती है, इसलिए खतरा लगातार बना रहता है।
10. ओज़ोन परत क्षय के प्रभाव
मानव स्वास्थ्य पर
• त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ना
• आँखों में मोतियाबिंद
• प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना
• त्वचा का तेजी से बूढ़ा होना और सनबर्न
जानवरों पर
• आँखों और त्वचा की बीमारियाँ
• डीएनए को क्षति
• प्रजनन क्षमता में कमी
समुद्री पारिस्थितिकी पर
• प्लवक (Phytoplankton) का नष्ट होना
• मछलियों में कमी
• समुद्री खाद्य शृंखला अस्थिर होना
कृषि पर
• फसल उत्पादन में गिरावट
• प्रकाश संश्लेषण बाधित
• खाद्य सुरक्षा पर खतरा
पर्यावरण और जलवायु पर
• धरती का तापमान बढ़ना
• मौसम चक्र का बिगड़ना
• ग्रीनहाउस प्रभाव तेज होना
11. ओज़ोन क्षय और वैश्विक तापमान वृद्धि में अंतर
| कारक | ओज़ोन क्षय | वैश्विक ऊष्मीकरण |
|---|---|---|
| प्रमुख कारण | CFCs और हैलॉन | CO₂, CH₄ जैसे गैसें |
| प्रभाव | ओज़ोन परत पतली | तापमान बढ़ना |
| परिणाम | अधिक UV किरणें पृथ्वी तक | समुद्र स्तर में वृद्धि |
| मानव जोखिम | त्वचा कैंसर, आँखों को नुकसान | हीटवेव, बाढ़, सूखा |
कुछ रसायन जैसे CFCs दोनों समस्याएँ बढ़ाते हैं।
12. ओज़ोन परत की सुरक्षा के लिए वैश्विक प्रयास
प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संधियाँ:
वियना कन्वेंशन (1985)
• वैश्विक सहयोग की शुरुआत
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987)
• ODS पर प्रतिबंध और चरणबद्ध समाप्ति
• पर्यावरण इतिहास की सबसे सफल संधि मानी जाती है
किगाली संशोधन (2016)
• HFC गैसों में कटौती — जलवायु संरक्षण
इन प्रयासों से वातावरण में ODS की मात्रा तेज़ी से कम हुई है।
13. ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों के विकल्प
आधुनिक उद्योग अपनाते हैं:
• HFO रेफ्रिजरेंट्स
• पानी आधारित/प्राकृतिक शीतलक – अमोनिया, CO₂
• बिना हैलॉन वाली आग बुझाने की तकनीक
• उन्नत, सुरक्षित औद्योगिक विलायक
यह सतत तकनीकी विकास को बढ़ावा देता है।
14. क्या ओज़ोन परत पूरी तरह ठीक हो सकती है?
UNEP और WMO की रिपोर्ट्स के अनुसार:
• 2040 तक विश्व स्तर पर सुधार
• 2045 तक आर्कटिक
• 2065 तक अंटार्कटिका
लेकिन यदि नियमों का पालन ना हुआ या अवैध उत्पादन बढ़ा तो समय बढ़ सकता है।
15. व्यक्तियों की भूमिका
हर व्यक्ति यह कर सकता है:
• पुराने CFC आधारित उपकरणों का उपयोग बंद करें
• ऊर्जा कुशल और पर्यावरण अनुकूल उत्पाद चुनें
• अनावश्यक एरोसोल स्प्रे से दूरी रखें
• वाहन प्रदूषण कम करें, सार्वजनिक परिवहन अपनाएँ
• वृक्षारोपण को बढ़ावा दें
• पर्यावरण शिक्षा फैलाएँ
• रिसाइक्लिंग और जिम्मेदार उपभोग आदतें अपनाएँ
16. ओज़ोन परत से जुड़े रोचक तथ्य
• यह लगभग सभी UV-C और अधिकांश UV-B अवशोषित करती है
• इसकी वैज्ञानिक खोज के लिए 1995 में नोबेल पुरस्कार मिला
• इसकी गंध क्लोरीन जैसी होती है और ज़मीन पर यह विषैली है
• ध्रुवों के पास इसकी मोटाई ज्यादा होती है
• जीवन के विकास में इसकी भूमिका निर्णायक रही है
17. वर्तमान चुनौतियाँ
• ODS का अवैध उत्पादन
• N₂O उत्सर्जन में बढ़ोतरी
• जलवायु परिवर्तन से समतापमंडल पर प्रभाव
• नए रसायनों का खतरा
• जागरूकता की कमी
यदि ये नियंत्रित नहीं हुए तो सुधार की गति धीमी पड़ सकती है।
18. निष्कर्ष
ओज़ोन परत पृथ्वी का जीवन सुरक्षा कवच है। मानव गतिविधियों के कारण इसमें आया क्षय यह साबित करता है कि हम प्राकृतिक प्रणालियों को कितना नुकसान पहुँचा सकते हैं। मगर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल जैसे वैश्विक सहयोगी प्रयासों ने यह दिखाया है कि इंसान यदि चाहे तो सुधार संभव है।
कड़े पर्यावरण कानून, वैज्ञानिक निगरानी, स्वच्छ तकनीकें और आम नागरिकों की जागरूक भागीदारी ही भविष्य में ओज़ोन परत को पूर्ण रूप से सुरक्षित रखेंगी। पृथ्वी, पर्यावरण और आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए ओज़ोन परत की रक्षा हमारा सामूहिक दायित्व है।

























