परिचय: पुनरुत्थानशील भारत में सम्मान की संरचना
भारत गणराज्य, जहाँ दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी निवास करती है, आज परिवर्तन के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। राष्ट्र-निर्माण की व्यापक प्रक्रिया में युवाओं की छिपी प्रतिभा और सिद्ध क्षमता को पहचानना केवल एक औपचारिक या प्रतीकात्मक कार्य नहीं, बल्कि एक रणनीतिक आवश्यकता है। इसी राष्ट्रीय सम्मान व्यवस्था के शिखर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (PMRBP) स्थित है, जिसे आम जनमानस में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार / राष्ट्रीय बाल पुरुष्कार के नाम से भी खोजा और जाना जाता है। यह पुरस्कार केवल एक पदक नहीं है, बल्कि भारत के बच्चों में निहित उस संभावना की राष्ट्रीय स्वीकृति है, जो भविष्य में पूरी दुनिया को दिशा दे सकती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 18 वर्ष से कम आयु के भारतीय नागरिकों के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। यह मानवीय उत्कृष्टता के विविध आयामों—साहस के अदम्य साहस से लेकर नवाचार के शांत अनुशासन तक, शैक्षणिक उपलब्धियों की कठोर मेहनत से लेकर सामाजिक सेवा की निःस्वार्थ भावना तक—का एक सुनियोजित उत्सव है। इस पुरस्कार का प्रदान किया जाना इस बात की आधिकारिक घोषणा है कि प्रभाव डालने के लिए आयु कोई बाधा नहीं है और विकसित भारत के शिल्पकार पहले से ही हमारे विद्यालयों, खेल के मैदानों और समुदायों में सक्रिय हैं।
दिसंबर 2025 में राष्ट्रीय बाल पुरुष्कार की परंपरा ने एक गहरे प्रतीकात्मक परिवर्तन का अनुभव किया। यह समारोह, जो परंपरागत रूप से जनवरी में गणतंत्र दिवस सप्ताह के दौरान आयोजित होता था, अब 26 दिसंबर – ‘वीर बाल दिवस’ के साथ जोड़ा गया। यह बदलाव केवल आयोजन की तिथि में परिवर्तन नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़ा हुआ है, जो आधुनिक भारत के बच्चों की उपलब्धियों को इतिहास के महान बलिदान—साहिबज़ादों (गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्रों) की शहादत—से जोड़ता है। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का एक विस्तृत, गहन और विशेषज्ञ-स्तरीय विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें इसके इतिहास, चयन प्रक्रिया, 2025 के पुरस्कार विजेताओं और इसके व्यापक सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों का समावेश है।
ऐतिहासिक विकास: राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से PMRBP तक
राष्ट्रीय बाल पुरुष्कार की वर्तमान प्रतिष्ठा को समझने के लिए इसके ऐतिहासिक विकास को जानना आवश्यक है। यह पुरस्कार समय के साथ परिवर्तित हुआ है और बाल कल्याण व युवा सशक्तिकरण को लेकर भारतीय शासन की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता है।
प्रारंभिक चरण: राष्ट्रीय बाल पुरस्कार – असाधारण उपलब्धि (1996–2017)
इस पुरस्कार की जड़ें वर्ष 1996 में स्थापित राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (असाधारण उपलब्धि) में निहित हैं। दो दशकों से अधिक समय तक इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य शिक्षा, कला, संस्कृति और खेल जैसे क्षेत्रों में असाधारण प्रतिभा वाले बच्चों को सम्मानित करना था। उस समय पुरस्कार सामान्यतः 14 नवंबर (बाल दिवस) को प्रदान किए जाते थे, जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती है।
हालाँकि इसका दायरा व्यापक था, परंतु इसे अधिकतर शैक्षणिक और कलात्मक उपलब्धियों तक सीमित माना जाता था और इसकी सार्वजनिक पहचान मुख्यतः शैक्षणिक एवं प्रशासनिक हलकों तक ही सीमित रही।
रणनीतिक पुनर्गठन (2018–2021)
वर्ष 2018 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पुरस्कार प्रणाली को आधुनिक बनाने की आवश्यकता को समझते हुए एक व्यापक समीक्षा की। इसके परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का गठन एक छत्र नाम के रूप में किया गया। इसके अंतर्गत पुरस्कारों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया—
बाल शक्ति पुरस्कार: यह श्रेणी व्यक्तिगत बच्चों के लिए थी, जिन्होंने नवाचार, शिक्षा, सामाजिक सेवा, कला एवं संस्कृति, साहस और खेल में असाधारण उपलब्धियाँ प्राप्त की हों।
बाल कल्याण पुरस्कार: (पूर्व में राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार – 1979) यह श्रेणी उन व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करती थी जिन्होंने बाल विकास, संरक्षण और कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो।
इस चरण में राष्ट्रीय बाल पुरुष्कार की दृश्यता में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। पुरस्कार समारोह को गणतंत्र दिवस से पहले के सप्ताह में स्थानांतरित किया गया और विजेताओं को गणतंत्र दिवस परेड में खुली जीपों में शामिल किया जाने लगा, जिससे उनकी उपलब्धियाँ राष्ट्रीय गौरव से जुड़ गईं।
वर्तमान स्वरूप (2022–वर्तमान)
वर्ष 2022 से सरकार ने पुरस्कार प्रणाली को और अधिक सरल बनाया। बाल कल्याण पुरस्कार को समाप्त कर पूरा ध्यान बाल शक्ति पुरस्कार, अर्थात प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पर केंद्रित कर दिया गया।
अब श्रेणियाँ स्पष्ट रूप से निर्धारित हैं—
साहस
कला एवं संस्कृति
पर्यावरण
नवाचार
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सामाजिक सेवा
खेल
पर्यावरण श्रेणी का शामिल किया जाना वैश्विक जलवायु संकट और युवा पीढ़ी की भूमिका को दर्शाता है।
2025 का परिवर्तन: वीर बाल दिवस और राष्ट्रीय स्मृति
वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार का आयोजन 26 दिसंबर को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किया गया, जिसकी अध्यक्षता भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने की। यह तिथि वीर बाल दिवस के रूप में ऐतिहासिक महत्व रखती है।
वीर बाल दिवस का ऐतिहासिक संदर्भ
वीर बाल दिवस साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबज़ादा फतेह सिंह (6 वर्ष) की शहादत की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष 1705 में सिरहिंद के मुगल शासक द्वारा उन्हें धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर जीवित दीवार में चिनवा दिया गया था। यह भारतीय इतिहास में साहस, दृढ़ता और सिद्धांतों के प्रति अडिग रहने का सर्वोच्च उदाहरण है।
इतिहास और आधुनिक उत्कृष्टता का संगम
वीर बाल दिवस के साथ समारोह को जोड़कर सरकार ने अतीत और वर्तमान के बीच एक सशक्त सेतु निर्मित किया। राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में साहिबज़ादों के बलिदान और आधुनिक बाल पुरस्कार विजेताओं के साहस के बीच स्पष्ट समानताएँ स्थापित कीं।
2025 के विजेता: साहस और प्रतिभा के प्रतीक
वर्ष 2025 में 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 20 बच्चों को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। यह समूह भारत के हर कोने से उभरती प्रतिभाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

साहस श्रेणी
व्योमा प्रिया (मरणोपरांत): 9 वर्षीय व्योमा ने एक बच्चे को बिजली से बचाने के प्रयास में अपना जीवन बलिदान कर दिया।
कमलेश कुमार (मरणोपरांत): 11 वर्षीय कमलेश ने दूसरों की जान बचाते हुए प्राण त्यागे।
अजय राज (उत्तर प्रदेश): मगरमच्छ के हमले से अपने पिता को बचाया।
मोहम्मद सिदान पी (केरल): संकट के समय जीवनरक्षक साहस का प्रदर्शन।
खेल श्रेणी
वैभव सूर्यवंशी (क्रिकेट, बिहार): U-19 में सबसे तेज शतक, IPL में सबसे युवा खिलाड़ी।
ज्योशना साबर (वेटलिफ्टिंग, ओडिशा): अंतरराष्ट्रीय जूनियर चैंपियन।
धिनिधि देसिंघु (तैराकी, कर्नाटक): 2024 पेरिस ओलंपिक में सबसे युवा भारतीय।
शिवानी होसुरु उप्पारा: दिव्यांग होते हुए भी असाधारण खेल उपलब्धियाँ।
नवाचार और सामाजिक सेवा
रिषीक कुमार (जम्मू-कश्मीर): साइबर सुरक्षा स्टार्टअप ‘Hackers Pathshala’।
श्रवण सिंह (पंजाब): सेना के जवानों के लिए निःस्वार्थ सेवा।
अनिश सरकार (शतरंज, पश्चिम बंगाल): सबसे कम उम्र के FIDE रेटेड खिलाड़ी।
वाका लक्ष्मी प्रज्ञिका (तेलंगाना): अंतरराष्ट्रीय शतरंज प्रतिभा।
उत्कृष्टता के सात स्तंभ (श्रेणियाँ)
साहस, कला एवं संस्कृति, पर्यावरण, नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल—ये सात श्रेणियाँ बच्चों की बहुआयामी प्रतिभा को पहचानती हैं।
नामांकन और चयन प्रक्रिया
नामांकन राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल के माध्यम से पूरी तरह डिजिटल है। स्वयं-नामांकन की सुविधा भी उपलब्ध है। चयन राष्ट्रीय चयन समिति द्वारा किया जाता है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री करते हैं।
लाभ और प्रभाव
₹1,00,000 की नकद राशि
पदक और प्रशस्ति पत्र
₹10,000 के पुस्तक वाउचर
गणतंत्र दिवस परेड में सहभागिता
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से भेंट
विश्लेषण और भविष्य
2025 की सूची यह दर्शाती है कि प्रतिभा अब महानगरों तक सीमित नहीं रही। ओडिशा, बिहार जैसे राज्यों का उभार उल्लेखनीय है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2025 भारत के युवाओं की क्षमता, साहस और प्रतिभा का जीवंत प्रमाण है। ये बच्चे केवल पुरस्कार विजेता नहीं, बल्कि नए भारत के निर्माता हैं।
यह सम्मान एक स्पष्ट संदेश देता है—
यदि तुम सपने देखने का साहस रखते हो और उत्कृष्टता का संकल्प, तो राष्ट्र तुम्हारे साथ खड़ा होगा।


























