Special Intensive Revision भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में “मतदाता सूची” केवल एक कागज़ी दस्तावेज़ नहीं बल्कि लोकतंत्र की रीढ़ मानी जाती है। यह तय करती है कि कौन वोट डाल सकता है, कौन चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा है और किस नागरिक की लोकतांत्रिक आवाज को मान्यता मिल रही है। लेकिन इतने बड़े देश में हर साल लाखों लोग जगह बदलते हैं, नए मतदाता 18 वर्ष के होते हैं, कुछ लोगों की मृत्यु हो जाती है, और कई नामों में गलतियाँ पाई जाती हैं।
ऐसे में मतदाता सूची को हर समय सटीक और अपडेटेड रखना चुनाव आयोग के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण लेकिन कठिन कार्य होता है।
इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने एक विशेष प्रक्रिया शुरू की, जिसे कहा जाता है—
SIR: Special Intensive Revision
यह एक ऐसा अभियान है जिसका उद्देश्य है—मतदाता सूची की गहन जाँच, मकान-मकान वेरिफिकेशन, और चुनावी रोल से संबंधित सभी त्रुटियों का निवारण।
आजकल यही SIR चर्चा में है, विवादों में है, और कई राज्यों में BLO द्वारा विरोध प्रदर्शन का कारण भी बना हुआ है।
आइए इसे विस्तार से समझते हैं।
Special Intensive Revision(SIR) क्या है?
SIR यानी Special Intensive Revision चुनाव आयोग द्वारा संचालित एक विशेष और व्यापक पुनरीक्षण प्रक्रिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध और अद्यतन करना होता है। यह केवल कागज़ों का औपचारिक मिलान भर नहीं, बल्कि एक डोर-टू-डोर फील्ड वेरिफिकेशन अभियान है। BLO हर घर जाकर यह जाँचते हैं कि मतदाता वास्तव में मौजूद है या नहीं, क्या उनका नाम किसी और बूथ या क्षेत्र में दोहराया हुआ तो नहीं, मृत व्यक्तियों के नाम हटाने की आवश्यकता है या नहीं, और क्या नए 18+ युवाओं का पंजीकरण ठीक से हुआ है। साथ ही पते, नाम, उम्र, फोटो सहित व्यक्तिगत विवरणों का शुद्धिकरण भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। अंततः, SIR एक ऐसी संशोधित मतदाता सूची तैयार करता है, जो आगे के सभी चुनावों में आधार दस्तावेज़ के रूप में उपयोग होती है।
SIR कौन कराता है?
Special Intensive Revision पूरी तरह से भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की देखरेख में संचालित होता है, जो देशभर में मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश और समय-सीमा निर्धारित करता है। राज्य स्तर पर मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) पूरे अभियान की रणनीति और प्रगति की निगरानी करते हैं, जबकि जिला चुनाव अधिकारी (DEO) जिला स्तर पर BLO और सुपरवाइज़रों की टीम का समन्वय संभालते हैं। इस प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण और व्यावहारिक हिस्सा है—BLO (Booth Level Officer)। यही अधिकारी घर-घर जाकर वेरिफिकेशन करते हैं, फॉर्म भरते हैं, रिकॉर्ड अपडेट करते हैं और वास्तविक डेटा तैयार करते हैं।
BLO की भूमिका में शामिल है—
घर-घर सर्वे
नए वोटर के फॉर्म-6 भरवाना
मृत/स्थानांतरित व्यक्तियों की पहचान
दोहराव / फर्जी प्रविष्टियों को हटाना
अंतिम ड्राफ्ट रोल तैयार करने में सहयोग
उन पर सबसे अधिक भार इसलिए पड़ता है क्योंकि पूरा SIR उन्हीं के मैदान-स्तरीय कार्य पर आधारित होता है।
SIR के मुख्य उद्देश्य
Special Intensive Revision का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह त्रुटिरहित और प्रामाणिक बनाना है, ताकि प्रत्येक वोट एक वास्तविक पात्र नागरिक द्वारा ही डाला जाए। इसमें सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है—डुप्लीकेट नाम हटाना, यानी ऐसे मतदाताओं को चिन्हित करना जिनका नाम एक से अधिक बूथों पर दर्ज हो। इसके साथ ही फर्जी पते, मृत व्यक्तियों के नाम, और गलत विवरणों को हटाकर सूची को साफ किया जाता है। यह प्रक्रिया नए युवाओं को वोटर लिस्ट में जोड़कर लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ाती है और यह सुनिश्चित करती है कि उनका पहला वोट सही पंजीकरण के कारण किसी बाधा का सामना न करे।
मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं—
डुप्लीकेट/फर्जी वोटरों की पहचान
मृत और स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाना
नए 18+ वोटरों का पंजीकरण
नाम, पता, उम्र, फोटो के सुधार
चुनावी रोल का डिजिटल शुद्धिकरण
यह अभियान चुनावी विश्वसनीयता और पारदर्शिता को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
SIR क्यों ज़रूरी है?
भारत की विशाल और गतिशील जनसंख्या के कारण मतदाता सूची में लगातार परिवर्तन होता रहता है। करोड़ों लोग हर साल शहर बदलते हैं, लाखों युवा 18 वर्ष के होते हैं, और कई लोग स्थानांतरण या मृत्यु के बाद भी वोटर लिस्ट में बने रह जाते हैं। यदि सूची लगातार अपडेट न की जाए तो त्रुटियाँ बड़ी संख्या में बढ़ जाती हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। Special Intensive Revision इन त्रुटियों को व्यवस्थित रूप से ठीक करता है।
SIR की आवश्यकता के प्रमुख कारण—
लगातार जनसंख्या परिवर्तन
फर्जी वोटिंग और बूथ कैप्चरिंग की रोकथाम
डिजिटल सिस्टम (EVM, VVPAT) के लिए सटीक डेटा
मतदाता की पहचान सुनिश्चित करना
निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराना
आज के डिजिटल चुनावी तंत्र में एक साफ-सुथरी वोटर लिस्ट अत्यंत ज़रूरी है, और Special Intensive Revision इसे संभव बनाता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
Special Intensive Revision लोकतंत्र की आधारभूत संरचना को मजबूत करने वाली एक अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। यह मतदाता सूची को पूरी तरह शुद्ध और अद्यतन रखती है ताकि हर योग्य नागरिक की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो सके। BLO पर काम का अत्यधिक भार होने के बावजूद यह अभियान देश के चुनावी ढाँचे को पारदर्शी, विश्वसनीय और निष्पक्ष बनाता है। एक सटीक मतदाता सूची न केवल चुनाव प्रक्रिया को सुगम बनाती है बल्कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भी करती है। इसलिए, SIR को भारत की चुनावी प्रणाली के सबसे अनिवार्य स्तंभों में गिना जाता है।
FAQs
1. Special Intensive Revision क्या होता है?
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें चुनाव आयोग वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण करता है ताकि सूची पूरी तरह सही और अपडेटेड रहे।
2. Special Intensive Revision कराने की जिम्मेदारी किसकी होती है?
Special Intensive Revision की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की होती है। इसके तहत CEO, DEO और BLO मिलकर फील्ड में सत्यापन का कार्य करते हैं।
3. Special Intensive Revision में BLO क्या काम करते हैं?
BLO घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी सत्यापित करते हैं, नए वोटरों का पंजीकरण कराते हैं, गलतियों को सुधारते हैं और मृत/स्थानांतरित व्यक्तियों के नाम हटाते हैं।
4. Special Intensive Revision क्यों जरूरी है?
Special Intensive Revision से वोटर लिस्ट साफ, सटीक और फर्जी प्रविष्टियों से मुक्त रहती है। इससे चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और विश्वसनीय बनती है।
5. क्या Special Intensive Revision के दौरान नए वोटर अपना नाम जोड़ सकते हैं?
हाँ, नए 18+ नागरिक फॉर्म-6 के माध्यम से Special Intensive Revision के दौरान आसानी से अपना नाम वोटर लिस्ट में जोड़ सकते हैं।
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